...

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बरसो पुरानी कलम
काफी समय बाद कुछ लिखने का मन हुआ
लिखने को टॉपिक तो कई थे पर शब्द एक भी नही।
कागज़ से कहना तो बोहोत कुछ था
पर शायद कलम में अब स्याई नहीं।
बरसो बाद जब हाथ मैं कलम ली तो लगा अब ये मेरी नही।
कलम तो हर रोज हाथ में रही मेरे कभी दस्तखत करते तो कभी कुछ खास लिखते।
पर बरसो बाद ऐसा लगा जैसे अब उस कलम को मुझसे मोहब्बत ही रही नही।
बरसो बाद जब लिखने की शुरुआत की तो हाथ भी यूं लड़खड़ाने लगे।
ये देख मन को ठेस पहुंची और लफ़्ज़ गुमराह से होने लगे।
सोचा ये सब क्या हो रहा है और क्यों हो रहा है...
तब मैंने कलम से पूछा क्या हुआ जब तुझे हाथ में लिया तो तू...