'चटनी' 😊
Recipe,
बात बंगाल के लजीज़ पकवान की हो और चटनी का जिक्र न हो, तो बात नहीं बनेगी। शादी, धार्मिक आयोजन या जन्मदिन जैसे पारंपरिक बंगाली समारोहों में खाना खाना, एक लाइव ऑर्केस्ट्रा देखने जैसा है। लंबी-लंबी कतारों में खड़े रहकर इंतज़ार करने के बाद, आखिरकार आप मेज पर अपने लिए एक सीट पाने में सफल हो जाते हैं और फिर कुछ ही देर में आपकी प्लेट पर स्वादिष्ट भोजन की लाइन लग जाती है।
पहले कासुंदी (सरसों की चटनी) के साथ मछली के कटलेट आते हैं। उसके बाद दाल के साथ, उबले हुए चावल या बसंती पुलाव, फिर भाजा (पकौड़े), तरकारी (सब्जी) और अंत में मुख्य व्यंजन के तौर पर मछली और मीट करी परोसा जाता है। इसके बाद जैसे ही मिठाइयाँ परोसी जाती हैं, खाने का मज़ा अलग ही ऊंचाईयों पर चला जाता है।
लेकिन क्या आपको भी लगता है कि केवल पायश, संदेश, रसमलाई और रसगुल्ला जैसी मिठाईयां ही बंगाली भोजन का जरूरी हिस्सा हैं? असल में ऐसा बिल्कुल नहीं होता। पारंपरिक बंगाली थाली का अभिन्न हिस्सा और सबसे अधिक मांग वाला आइटम, कोई और नहीं बल्कि पापड़ और फ्रायम्स के साथ परोसी जाने वाली चटनी है। चाहे वह मसालेदार और चटपटा टमाटर हो, आमशोत्तो हो, गाढ़ा आम, खट्टा-मीठा खजूर हो या फिर कच्चे पपीते की चटनी, ये चटनियाँ तो बंगाली भोजन की शान हैं।
स्वाद से भरपूर ज़ायका, जिसे अक्सर एक प्लेट के किनारे पर रखे साइड डिश के रूप में कम आंका जाता है, वह चटनी है। लेकिन यही चटनी, भारतीय व्यंजनों का टेस्ट बनाने या बिगाड़ने की ताकत रखती है। वैसे तो इसकी उत्पत्ति का दावा करने वाली कई कहानियां मौजूद हैं। कभी चावल और इडली के साथ, तो कभी चाट के लिए एक टॉपिंग के रूप में। चटनी की इस सरल जटिलता से ये पता...
बात बंगाल के लजीज़ पकवान की हो और चटनी का जिक्र न हो, तो बात नहीं बनेगी। शादी, धार्मिक आयोजन या जन्मदिन जैसे पारंपरिक बंगाली समारोहों में खाना खाना, एक लाइव ऑर्केस्ट्रा देखने जैसा है। लंबी-लंबी कतारों में खड़े रहकर इंतज़ार करने के बाद, आखिरकार आप मेज पर अपने लिए एक सीट पाने में सफल हो जाते हैं और फिर कुछ ही देर में आपकी प्लेट पर स्वादिष्ट भोजन की लाइन लग जाती है।
पहले कासुंदी (सरसों की चटनी) के साथ मछली के कटलेट आते हैं। उसके बाद दाल के साथ, उबले हुए चावल या बसंती पुलाव, फिर भाजा (पकौड़े), तरकारी (सब्जी) और अंत में मुख्य व्यंजन के तौर पर मछली और मीट करी परोसा जाता है। इसके बाद जैसे ही मिठाइयाँ परोसी जाती हैं, खाने का मज़ा अलग ही ऊंचाईयों पर चला जाता है।
लेकिन क्या आपको भी लगता है कि केवल पायश, संदेश, रसमलाई और रसगुल्ला जैसी मिठाईयां ही बंगाली भोजन का जरूरी हिस्सा हैं? असल में ऐसा बिल्कुल नहीं होता। पारंपरिक बंगाली थाली का अभिन्न हिस्सा और सबसे अधिक मांग वाला आइटम, कोई और नहीं बल्कि पापड़ और फ्रायम्स के साथ परोसी जाने वाली चटनी है। चाहे वह मसालेदार और चटपटा टमाटर हो, आमशोत्तो हो, गाढ़ा आम, खट्टा-मीठा खजूर हो या फिर कच्चे पपीते की चटनी, ये चटनियाँ तो बंगाली भोजन की शान हैं।
स्वाद से भरपूर ज़ायका, जिसे अक्सर एक प्लेट के किनारे पर रखे साइड डिश के रूप में कम आंका जाता है, वह चटनी है। लेकिन यही चटनी, भारतीय व्यंजनों का टेस्ट बनाने या बिगाड़ने की ताकत रखती है। वैसे तो इसकी उत्पत्ति का दावा करने वाली कई कहानियां मौजूद हैं। कभी चावल और इडली के साथ, तो कभी चाट के लिए एक टॉपिंग के रूप में। चटनी की इस सरल जटिलता से ये पता...