...

18 views

कुछ तो लोग कहेंगे
कई लोगों की आदत होती है कि वे दूसरों के काम में टांग अड़ाते हैं। यदि आप कुछ करो तो वह उसमें आपको अपना सुझाव देंगे या आपका मजाक उड़ाएंगे। लेकिन कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना। अतः आपको वहीं करना चाहिए, जो सही हो। आप सुन सभी की लो, लेकिन करो केवल वहीं जो आपको उचित लगे। नहीं तो जीवन में कभी भी सुखी नहीं रह पाओगे। चलिए इस बात को एक कहानी से समझते हैं।
बाप, बेटा और गधा-:
बहुत समय पहले की बात है, एक बाप और उसका बेटा अपने  एक पालतू गधे को लेकर बाजार की ओर जा रहे थे। वह दोनों गधे को लेकर गांव के रास्ते से जा रहे थे। कुछ देर जाते ही, कुछ लोगो की आवाज उनको सुनाई दी। लोग बोलने लगे, “अरे देखो, ये लोग कैसे मुर्ख आदमी है। गधा साथ है, लेकिन उसका उपयोग करना नहीं जानते। अरे , तुम में से कोई एक बैठ जाओ। गधे का तो काम ही है बोझ उठाना।
बाप कहने लगा, “यह लोग सही बोल रहे है। हम दोनों में से किसी एक को गधे पर चढ़ जाना चाहिए। बेटा, तुम थके हुए लग रहे हो। थोड़ी देर तुम इस गधे पर चढ़ जाओं। ” यह बात कहकर बाप ने अपने बेटे को गधे पर चढ़ा दिया और स्वयं पैदल चलने लगा।
थोड़े ही दूर जाते ही एक किसान उन दोनों को देखकर जोर से बोलने लगा, “अरे कैसा बेटा है, बूढ़े बाप को पैदल चला रहा है। और खुद हट्टेकट्टे होकर भी गधे की सवारी कर रहा है। वाह! क्या दिन आ गया।”
किसान की बात सुनकर बेटे को बहुत बुरा लगा और सोचने लगा, “यह किसान तो सही बोल रहा है। मैं  हट्टाकट्टा हूँ, पिताजी बहुत देर से चल रहे हैं, मैं उतर जाता हूँ।”  और फिर बाप गधे पर  बैठकर चलने लगा।
थोड़ी देर चलने के बाद एक बूढ़ी औरत उन दोनों को ऐसे जाते देखकर बोलने लगी, ‘कैसे बाप  हो तुम? इतना स्वार्थी। खुद आराम से जा  रहे हो और अपने बेटे को पैदल चलवा रहे हो। बेचारा बच्चा कितना थक गया होगा।”
यह सुनकर बाप को बहुत लज्जा आई और फिर अपने साथ अपने बेटे को भी गधे पर बैठा लिया और चलने लगा।
ऐसे  थोड़ी दूर जाने के बाद, उन दोनों को कुछ लोग बैठे हुए मिलें । बाप ने उन लोगो को पूछा, “सुनो, बाजार जाने का रास्ता यही है न।”
लोगो ने कहा, “हां बाजार जानें का रास्ता तो यहीं है किन्तु तुम दोनों को क्या दया नहीं है। इस बेचारे गधे के ऊपर दो-दो आदमी सवार हुए हो। बेचारे इस गधे की हालत तो देखो । ”
यह सुनकर बाप और बेटे गधे से उतर गए। बाप बेटा आपस में विचार किए कि ये लोग ठीक ही कह रहे हैं। हम दोनों बहुत देर से इसपर सवार हुए है। गधा भी बहुत थक गया होगा। एक काम करते है, इसको लाठी से अच्छे से बांधकर फिर हम दोनों इसको उठाकर आगे की यात्रा तय करते हैं। इसको भी कुछ आराम मिल जायेगा”
यह कहकर बाप और बेटे ने गधे को एक लाठी से बांध दिया और फिर लाठी के एक-एक किनारे पकड़कर दोनों गधे को उठाकर चलने लगे। रास्ते में एक लकड़ी का पूल आया। पुल बहुत पुराना होने की कारण तीनों का भार ले न सका और टूट गया। बाप, बेटा और गधा पानी में गिर गये। वे बड़ी कठिनाई से कैसे-कैसे करके पानी से बाहर निकले,,! गधा भी चोटिल हो गया ! फिर क्या.... पैदल ही तीनों को गंतव्य तक जाना पड़ा ..!
निष्कर्ष ये है कि…
लोगों का काम है कहना। वे आपको छोटी-छोटी बातों पर टोकेंगे, रोकेंगे, लेकिन करना क्या है यह आप स्वयं तय करें। लोगों की बातों पर आकर कोई निर्णय न लें, नहीं तो कुछ भी नहीं कर पाएंगे।
(यह कथानक गूगल से तथा बच्चों की हिंदी पुस्तक से लिया गया है, तत्पश्चात संपादित, संशोधित, परिष्कृत कर प्रस्तुत किया गया है)