बुरा न मानो होली है
बुरा न मानो होली है --- झूठ बोलना भी एक कला है और इस कला में माहिर वही हो सकता है जो झूठ बोलने में बेखौफ़ और पारंगत हो । लेकिन इस मामले में शुरू से ही मैं एक कच्चा खिलाड़ी रहा हूँ । झूठ बोलते वक़्त अगर आपके चेहरे पर रत्ती-भर भी सीकन दीख जाय, तो समझिए कि आप गये काम से । वैसे तो झूठ बोलने की आदत तो बचपन में ही पड़ जाती है , लेकिन भरपूर तजुर्बा मिलता है नौकरी में आकर । झूठ बोलने का यादाश्त से भी बहुत गहरा रिश्ता है ,लेकिन बदकिस्मती से मेरी यादाश्त भी बेहद कमजोर रही है , इसलिए जिन्दगीभर मुझे डर-डरकर झूठ बोलना पड़ा । सच की औकात तो...