पप्पी (भाग-१)
मैं रोज सुबह अपनी दोस्त के साथ सैर पे जाती थी। हर रोज एक जैसा हि चल रहा था।
एक दिन घर जाते समय हमें सड़क के किनारे एक कुत्ते का बच्चा ( पप्पी ) दिखा। ऐसा नहीं है कि वहां और कुत्ते नहीं है पर वो बाकी से अलग दिख रहा था। उसे देख के किसी को भी उसपे दया आ जाती, इतनी बूरी हालत थी उसकी, अभी उसे ज्यादा समय नहीं हुआ था इस दुनिया में आए हुए। हम दोनों उसके पास गए वो हमें देखते हि हमारे हाथों कि तरफ बार-बार इस उम्मीद से उझलता कि शायद उसे कुछ खाने को मिल जाए पर उस समय हमारे पास कुछ नहीं था जिससे कि उसकी भूख मिट जाती। वो काफी ज्यादा...
एक दिन घर जाते समय हमें सड़क के किनारे एक कुत्ते का बच्चा ( पप्पी ) दिखा। ऐसा नहीं है कि वहां और कुत्ते नहीं है पर वो बाकी से अलग दिख रहा था। उसे देख के किसी को भी उसपे दया आ जाती, इतनी बूरी हालत थी उसकी, अभी उसे ज्यादा समय नहीं हुआ था इस दुनिया में आए हुए। हम दोनों उसके पास गए वो हमें देखते हि हमारे हाथों कि तरफ बार-बार इस उम्मीद से उझलता कि शायद उसे कुछ खाने को मिल जाए पर उस समय हमारे पास कुछ नहीं था जिससे कि उसकी भूख मिट जाती। वो काफी ज्यादा...