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कुछ तो बात है जो खास है -2
फिर फोन कट गया। जीत ने सोचा क्या पता कहाँ से फोन आया है शायद फिर आ जाये लेकिन नहीं आया। जीत अपनी दुनिया में मस्त था। फिर कुछ दिन बाद मौसम बारिश का हो गया और बारिश होने लगी जीत के मन में वही बातें आयी और उसे याद आने लगी वो आवाज किसकी थी? और बहुत कुछ सोचने लगा। जीत ने उसी नंबर पर कॉल किया लेकिन नहीं लगा। फिर वो अपने कामों में व्यस्त हो गया।
रात को ज़ब अकेले सोचा तो यही सोचता की वो कौन थी और वो ऐसा क्यों कहे रही थी? फिर उसने कॉल किया और ऐसे वो रोज कॉल करता था लेकिन वो नंबर बंद हो चूका था। जीत ज़िन्दगी में आगे बढ़ते हुए ख़ुश था और उसकी सगाई भी हो गयीं कुछ समय बाद उसकी शादी की तारीख आने वाली थी। फिर उसे कॉल आया उधर से आवाज आयी हैलो! तो जीत ने भी हैलो कहा - आप कौन? तो फिर उधर से आवाज़ आयी नाम में क्या रखा है साहब सुन सको तो मेरी दर्द भरी आवाज को सुनो। तो जीत ने हैरानी से कहा - तुम तो वही हो जिनका कॉल पहले भी आया था। हां मैं आपको पहचान गया आप कहिये तो आप क्यों दुखी है? उधर से आवाज आयी सुख दुख तो ज़िन्दगी के साथी है लेकिन जो दुख में हाथ बढ़ाये वो साथी कहा है ज़माने में। दुनिया तो सिर्फ अपना मतलब देखकर ख़ुश रहती है। जीत उसकी बातों को गहराई से सुनने लगा और उसे दिल से महसूस होने लगा तो जीत ने कहा - तुम दुखी ना हो मुझे बताओ मैं मदद करूँगा तुम्हारी बोलो तो सही। उधर से आवाज आयी - मदद करने वाले तो सिर्फ फ़रिश्ते होते है जो खुदा के बन्दे होते है। फरिश्तों से हमारा कहाँ सामना होता है। जीत को ये बातें दिल को छूने लगी और जीत जैसे ही कुछ कहता फोन कट गया।
जीत के ख्वाबों में भी सिर्फ ये आवाज सुनाई देने लगी। वो हर वक़्त खोने लगा। वो जानना चाहता है की ये कौन है जिसकी बातें दिल को छू जाती है जिसे देखा नहीं जानता नहीं लेकिन अब जानना चाहता हूँ। फिर जीत ने फोन किया लेकिन वो नंबर बंद आ रहा था। वो सोच में पड़ गया।

© Niharik@ ki kalam se✍️