...

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उसने कहा था
"उसने कहा था"

लड़की (श्री) : अरे ये क्या कर रहे हो ?
लड़का(मंगल): दिख नहीं रहा बुद्धू पौधा लगा रहा हूँ !

श्री: वो तो दिख ही रहा है पर अचानक क्या सूझी ?
मंगल : आज तुम्हारा जन्मदिन है ना.. तो मैंने तय किया है कि तुम्हारे हर जन्मदिन पर एक पौधा लगाउँगा और देखना एक दिन ये सारे पौधे विशाल पेड़ बनेंगे और बग़ीचे का हर कोना तुम्हारे अहसास से भरा होगा मेरे दिल की तरह,

श्री ने ज़ोर का ठहाका लगाया और बोली "तुम सच में पागल हो गए हो और बता देती हूँ जनाब आपका ये पैधे लगाने वाला आइडीया ज़्यादा से ज़्यादा तीन साल तक चलेगा फिर भूल जाओगे , जैसे तुम हर चीज़ भूलते हो"।

मंगल के चेहरे का भाव बदल गया।
"ऐसे मत कहो ना और जब मैं कोई चीज़ दिल से करता हूँ ना तो उसे कभी नही भूलता "।

श्री बोली "तो फिर वादा करो तुम ज़िंदगी भर मेरे हर जन्मदिन पर यहाँ पौधे लगाओगे चाहे हम साथ हो या ना हो..

मंगल बोला 'मैं वादा करता हूँ.. मगर आगे से कभी तुम ये साथ ना रहने की बात नहीं करोगी"।
श्री ने प्यार से उसे ज़ोर से गले लगा लिया।ओह मेरे मंगल...

पूरे 27 साल हो गए...

न जाने वो वक़्त की कौन सी अभागिन घड़ी थी जिसने दोनो को जुदा कर दिया था आज "श्री" फिर उसी शहर में थी..

वहाँ का हर कोना, हर गली,हर जगह, उसे मंगल की याद दिला रही थी..

श्री की नज़रें मंगल की एक झलक के लिए तरस रही थी मगर वो कहीं नहीं दिखा..

"जाते हुए आख़री बार उसी ने (श्री) तो उससे (मंगल से) वादा लिया था की कभी पलट के नहीं आओगे मेरी ज़िंदगी में"।😰

तेज़ बारिश हो रही थी भीगते हुए चलते-चलते उसके (श्री के) क़दम ख़ुद ही उस बग़ीचे की तरफ़ बढ़ने लगे, वहाँ पहुँचते ही उसका गला भर आया। यही वह जगह थी जहाँ उसने मंगल के साथ अपने जीवन के सबसे बेहतरीन और सुकून भरे पल गुज़ारे थे..

अंदर जा कर देखा तो बग़ीचा बेहद ख़ूबसूरत और हरा-भरा दिख रहा था और तभी अचानक उसकी नज़र लड़के (मंगल) पर पड़ी जो वहाँ बैठा पौधा लगा रहा था। उसे देखते ही वो ख़ुद को रोक नहीं पायी और दौड़ के उसे गले लगा लिया और फूट फूट के रोने लगी....

मंगल कुछ नही बोला बस मौन खड़ा रहा....

तभी एक लड़की आयी और बोली "सॉरी आंटी मेरे पापा कई साल पहले अपनी याददाश्त खो चुके हैं.. ही इज़ अल्ज़ाइमर पेशंट" कई सालों से वो ;;; की हर ;;; तारीख़ को बस एक बार यहाँ आते हैं और एक पौधा लगा जाते हैं" जब भी हम इसका कारण पूछते है तो इनका एक ही जवाब होता है-

"उसने कहा था"

और वो(श्री) वही बग़ीचे में ठगी सी बैठी रही।


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