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निकाह__✍️
🌹निकाह🌹

जब किसी लड़का/लड़की से कहा जाता है क बेटा अब आपके निकाह की उम्र हो गयी है, अब आपके लिए रिश्ता ढूँढ़ना पढ़ेगा..!

तो यक़ीन मानिए दुनिया की सारी खुशी एक तरह और निकाह की ख़बर सुनने की खुशी एक तरह, और निकाह तो अल्लाह के नबी की सबसे अफ़ज़ल सुन्नतों मेसे एक सुन्नत है..!

बेटियां हमारे लिए अल्लाह की नेअमत-व-रहमत हैं, लेकिन अफ़सोस आज दुनिया न अपने गलत ख़यालो और रस्मो की वजह से उन्हें अपने लिए मुसीबत समझ लिया हैं, इस्लाम ही दुनिया का वाजिब मज़हब हैं, जिसने माँ बहनो और बेटियों की इज़्ज़त अफ़ज़ाई की और उनकी परवरिश तालीम-व-तर्बियत और खिदमत पर दुनियां-व-आख़िरत की बशारते सुनाई, लेकिन आज की नयी पीढ़ी में आज उन्हे पैदा होने से पहले ही मारकर उन्हें जीने क हक़ से महरूम किया जा रहा हैं, जिस की खबरे हम आये दिन सुनते रहते हैं..!

अब्बा_अम्मा बहुत खुश थे उनके घर बेटी हुई, अल्लाह न उन्हे रहमत से नवाज़ा है,
अब्बा न अपने ख़ास लोगो को मिठाई बाँटीं, जो भी उनसे मिलने आता उन सभी से गर्म-जोशी से मिलते, अब्बा बोले में अपनी बेटी की तरबीयत ऐसी करूँगा के लोग मेरे नाम से नही, बल्कि मेरी बेटी के नाम से मुझे जानेंगे, हर वो खुशी ख़रीद लूँगा, जिससे मेरी बेटी के चहरे पर मुस्कान आजाये, अपनी दुआओं में हमेशा अपनी बेटी को महफूज़ रखूँगा..!

जैसे-जैसे बेटी बड़ी होती गयी, अब्बा क चहरे पर फ़िक्र नज़र आने लगी,
एक रोज़ अब्बा की लाडली का रिश्ता आगया, अब्बा क सामने वो सारा मंजर नज़र आने लगा, के कैसे अपनी लाडली को चलना सिखाया, जो खिलौना माँगा वो खिलौना दिलाया..!

सभी कहते है, ये रस्म है दुनिया की बेटियां तो परायी होती है एक दिन उन्हे दूसरे घर जाना ही होता है, और जब दहेज़ की बात आती है तो सब चुप हो जाते है, अमीर लोग अपने से और अमीर घर में रिश्ता करते है
अब ये भी रिवाज़ बना दिया इस दुनिया क कुछ लोगो ने,
क्यूँ बाई? ऐसा क्यूँ? आखिर क्यूँ? क्या ग़रीब की बेटी की कोई इज्ज़त नही होती, क्या वो नेक घर से ताल्लुक नही रखती? क्या वो इस काबिल नही क तुम्हारा घर सम्भाल सके?

नही ना, हाँ तो फिर दहेज़ क भिखारी हैं वो लोग वो बेटी लेने नही भीख लेने आते हैं,
और भिखारियों को भीख दी जाती है बेटी नही..!

कुछ साल पहले मेने न्यूज़ पेपर में पड़ा था, सुसराल वालों ने निकाह के बाद भी बेटी वालों से स्कॉर्पियो कार की डिमांड की, जबकी बेटी वालों ने निकाह के दौरान काफी दहेज़ दिया था,
और ज़्यादा याद नही बस याद है क उनकी बेटी को जला दिया था,
आज भी जब इस तरह की कोई न्यूज़ सुनता हूँ, तो दिल सहम जाता है ये कौन लोग है? ये इंसान हैं भी या नही,
अल्लाह के यहां सबकी पकड़ होगी, और हिसाब तो ख़ैर सबको देना है..!

कुछ लोगो को निकाह क लिए लड़की गौरी चाहिए और उसकी उम्र 18 या 20 साल तक ही हो बस? और एजुकेशन क बारे में तो पूछिए ही मत साब, पड़ी लिखी तो इतनी हो क बस पूछो मत, खुद का बेटा चाहे 10th फैल हो,
और साब आपका बेटा 22 या 25 साल का है?
बेटी में बहू नही, बहू में बेटी तलाश करिए साब,
आपकी बेटी भी कल किसी क घर की इज्ज़त बनेगी,
जिस तरहा आपने अपनी बेटी की परवरिश की है़ उसका ख़याल रखा है़
ठीक उसी तरहा, जिस घर की बेटी को आप अपने घर की इज्ज़त बनना चाहते हो, उन्होने भी तो उसी तरहा अपनी बेटी की परवरिश की है़ वो भी तो अपने दिल का टुकड़ा आपको सौंप रहें है़,
बस इस बात का ख़याल रखिएगा, बेटी किसी के भी घर की हो जो इज्ज़त अपनी बेटी को देते हो वोही इज्ज़त दूसरे घर की बेटी को भी देना..!

और हमारे मुआशरे में कुछ लोग मालदार लड़का ढूँढ़ते हैं?
लड़के में ऐब हज़ार हो कोई बात नही
बस लड़का पैसे वाला होना चाहिए?
अरे साब सारी ज़िन्दगी औलाद को इतनी नाज़ों से पाला, अपने दिल के टुकड़े को यूँही किसी के भी हवाले कर दोगे,
पैसा ही सब कुछ नही होता, हम-ख्याल तलाश करिए, मिज़ाज मिलना बेहद ज़रूरी है,
और हमसफर नैक होगा तो वो रोटी भले ही दो
खिलाए मगर हलाल खिलाएगा,
वो तम्हारे भले ही बड़े-बड़े सपने पूरे ना कर सके
बड़ा घर, बड़ी गाड़ी और महंगे-महंगे गिफ्ट ना दिला सके,
मगर वो तुम्हारा हाथ पकड़ कर चलेगा ता-उम्र
तुम्हारे साथ ज़िन्दगी के सुख-दुख में हर मोड़ पर क़दम से क़दम मिला कर चलेगा..!

वालिदैन बचपन से औलाद की परवरिश में लग जाते है, कब किस चीज़ की जरूरत पड़ सकती है वो सारा हिसाब लगा कर रखते है..!

अब्बा: बेटियां अपने अब्बा के सिर का ताज होती है उनका गुरूर उनका मान होती है, और अपने अब्बा की लाडली होती है अपने अब्बा की एक आवाज़ पर उनका हुक्म सर आँखों पर रखती है, बिना कहे उनके लिए चाय बनाने लग जाती है गर तबीयत खराब हो अब्बा की, तो उनकी दवाई का टाइम का ख्याल रखती है,
और तुम आसान समझते हो एक बेटी होना..!

अम्मा: बेटियां अपनी अम्मा की जान होती है उनकी इज्ज़त उनकी पहचान होती है, घर के हर काम में अपनी अम्मा का हाथ बाँटती है, सुबह के ब्रेकफस्ट से लेकर रात के डिनर तक, घर में किसको क्या ख़ाना है किसको क्या पसंद है ये सारी बातों को वो धियान रखती है,
और तुम आसान समझते हो एक बेटी होना..!

निकाह करने का हक अपने वालिदैन से कभी मत छीनना,
बे-नाम रिश्तों से खुद को महफूज़ रखिए,
कुछ लोग आज यूँही किसी की भी बातों में आजाते है़, कुछ लोग उनसे निकाह का वादा करते है़ उन्हे तरहा-तरहा की बातें करके उन्ह बहकाते है़, और कुछ लोग घर से भाग जाते है़, क्या येही प्यार है़? अरे लानत भेजें ऐसे प्यार पर जो आपको अपनों से जुदा कर दे,
वालिदैन ने बचपन से तुम्हारी हर ख़्वाहिश पूरी की तुम्हारी हर जरूरत पूरी करने क लिए न रात देखी न दिन, ज़िन्दगी क हर मोड़ पर तुम्हारे साथ साए की तरहा साथ खड़े रहे, बस उनका साथ कभी मत छोड़ना उनका जो हक है़ उनसे कभी मत छीनना..!

अक्सर हम लोग येही देखते है़, औरत के किरदार को मापने के लिए लोगों ने कितने पैमाने बना रखे है,
औरत का लिबास, औरत की आवाज़, औरत के हाथ पाऊं, औरत की शक्ल-व-सूरत, औरत के हाथ से बनी गोल रोटी, उसके हाथ से पके खाने का नमक, उसके हाथों पर चढ़ा मेहंदी का रंग, उसका खानदान, उसकी मां, उसका बाप, उसकी फेमेली के मआशी हालात,
उसकी तालीम, मुस्तक़बिल, कोई अच्छी से अच्छी औरत भी बेशक सब मरहले पार कर जाए मगर कही न कही रह ही जाती है,
सोचता हूँ मर्द के किरदार को मापने का क्या पैमाना है,
उसका सिर्फ अच्छी मुलाज़िमत करना उसके सारे ऐबों पर पर्दा क्यों डाल देता है..!

पोस्ट काफी बड़ी हो गयी है़, और इस मुद्दे पर इंशाअल्लाह फिर लिखूँगा,
बात अगर मेरी समझ जाए तो शेयर करिएगा..!🥀

❣️ज़हीन❣️