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तरूणी
तरूणी अभी 13 साल की बच्ची है। हर लड़की की तरह उसके भी सपने है जिनके सहारे वो खुश होती, अनुभव करती है, कल्पनाओं में खुदको तराशती है।
उस दिन तरूणी स्कूल से लौट रही थी साथ उसका सबसे अच्छा दोस्त, जगत था।
रोज़ की तरह बाते करते करते लौट रहे थे दोनों।
जगत ने पूछा :
अच्छा चल स्कूल का तो पता है, ये बता तेरी कोरी कल्पना( fantasy ) क्या है?

तरूणी ज़रा मुस्कुराई और बोली :
हर लड़की की तरह मेरे भी ख्वाब है, जैसे कोई ऐसा आएगा जिससे मुझे प्यार होगा। वो मुझे वो सब देगा जो मै चाहूंगी, खुशियां प्यार इत्यादि।

जगत : सब मानता हूं पर उसकी क्या अपेक्षा होगी तुझसे?

तरूणी : शायद हर वक़्त का साथ और पूरी तरह जैसा वो है उसी तरह उसे स्वीकारना।

इतने में तरूणी का घर आया तो दोनों एक दूसरे को "फिर कल मिलेंगे" कहकर चले गए।

तरूणी को उसके बाबा द्वार पर ही उसका इंतज़ार करते मिले।


तरूणी : बाबा! आप बाहर क्यों? इतनी धूप है तबियत खराब हो जाएगी आपकी! चलिए
अभी अंदर चलिए...

बाबा : बच्चा तेरा ही इंतज़ार कर रहा था। कितनी देर हो गई आज तुझे आने में, पता है तेरी मां भी फोन कर करके कितनी दफा तुझे पूछ चुकी है!

तरूणी : बाबा वो जगत के साथ आ रही थी तो बातों ही बातों में देर हो गई।

बाबा : समझा.... पर आगे से ध्यान रखना ज़्यादा देर लगाते हो तो हमें ज़्यादा फिक्र होने लगती है! मेरा फरिश्ता एक ही है बच्चा, तो चिंता में पड़ जाता हूं....

तरूणी : बाबा.... कुछ भी हो मै लौटकर आपके पास ही आऊंगी ना, आप जानते हो आपका ये फरिश्ता अपने रब से ज़्यादा देर दूर नहीं रह सकता।

बाबा अपनी तरूणी को प्यार से गोद में बिठाकर कहते है
: अच्छा!! ये सब तो ठीक है, अब ये बता आज का दिन कैसा था, और जगत से ऐसी क्या बात कर रही थी कि इतनी देर लगा दी?

तरूणी : आज का दिन अच्छा था। और जगत से fantasy के बारे में बात हो रही थी। पूछ रहा था क्या सपने है क्या नहीं बस इतना ही।

बाबा : तो क्या है तेरी fantasy?

तरूणी : बस इतना ही कोई आएगा मुझे प्यार करेगा खुश रखेगा।

बाबा : देख मेरी तरूणी, तू जिसे चाहेगी उसे तेरी ज़िन्दगी में लाकर दूंगा! पर ये उम्मीद नहीं करना की कोई सपने का राजकुमार तेरे लिए आएगा, तेरी हर ख्वाहिश, मांग पूरी करेगा।
तू भी काम करेगी अपने दम पर अपने ख्वाबों को बुनकर साकार करेगी। तू किसी पर निर्भर कर नहीं जिएगी, नाही किसी के आगे हाथ फैलाए खड़ी होगी। तू आत्म निर्भर रहेगी खुद काम कर खुद कामयाब होगी, स्वावलंबी और सदा स्वाधीन रहेगी। राजकुमार वो नहीं जो तुझे केवल ख्वाब दिखाए, सच्चा राजकुमार वो जो तुझे अपने घर पर लाद दुलार प्यार खुशियों के साथ इज़्ज़त से तुझे अपने पास रखे बिल्कुल जैसे तेरे बाबा तुझे रखते है।

तरूणी की आंखे भर आती है वो अपने बाबा से लिपटती है और कहती है
:
तुम साँसों की सांस हो शामों सहर मेरे पास हो जहाँ मेरे आंसू ये ढले वही मुझे हंसके मिले
मेरे पापा.. मेरे पापा..
रुठुं जो, मैं तुमसे कितना डरते हो
रब की तरह, जिद मेरी पूरी करते हो
होने ना दे कभी मुझको गिले
मैं चाँद कहूँ मुझे चांदनी दे
कैसे कैसे जादू करे मेरे पापा.. मेरे पापा।।







© KalamKiDiwani