वह दिन
लगभग आधे घंटे से ममता जी पुलिस स्टेशन के बाहर इंतजार कर रही थी। थोड़ी देर बाद एक कॉन्स्टेबल बाहर आया। ममता जी ने उसे कहा-सुनिए मुझे इंस्पेक्टर साहब से मिलना है।कुछ जरूरी बात है। कांस्टेबल ने पान थूककर कहा-साहब को बहुत काम है आप कभी और.... तभी अंदर से एक आवाज आई-'आने दो उन्हें अंदर।'ममता जी अंदर गई। इंस्पेक्टर विजय ने बहुत नम्र आवाज में पूछा-जी कहिए क्या बात है? आप कह रही थी कुछ जरूरी है। ममता जी बोली- मैं बैंक में काम करती हूं। कल रात मेरा मोबाइल फोन रास्ते में कहीं गिर गया था। मुझे लगा कि शायद बैंक से घर आते वक्त वह कहीं गिर गया होगा। मैं उस रोड पर ढूंढने निकले रात के लगभग 9:00 बज रहे थे। सड़क बिल्कुल सुनसान थी। तभी मैंने देखा कि कुछ लोग एक वैन में आए। वह सभी हाथ में बंदूक लिए हुए थे वह सभी जंगल की ओर जा रहे थे। उन सभी के पास बड़े-बड़े काले बेग थे। फिर एक आदमी वैन लेकर वहां से चला गया। उन सभी का चेहरा ढका हुआ था ।मुझे यह कुछ ठीक नहीं लगा तो सोचा कि आकर पुलिस स्टेशन में इस बारे में जानकारी दे दूं।
इंस्पेक्टर विजय ने कहा आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। आपने बहुत अच्छा किया कि यह जानकारी हमें दे दी। हो सकता है वहां कोई गैर कानूनी काम चल रहा हो। यह भी हो सकता है कि वहां कोई ऐसा काम चल रहा हो जिससे कई मासूम जिंदगियां खतरे में हो। आपने वाकई हमारी बहुत मदद की है। भारत के हर नागरिक को आपकी तरह सतर्क रहना चाहिए।
ममता जी ने दर्द भरी आवाज में कहा-"मैंने अपने एकलौते बेटे को एक बम ब्लास्ट में खोया है। अपनों को खोने का दर्द बहुत अच्छी तरह समझती हूं। एक दिन ऐसा नहीं होता जिस दिन मुझे उसकी याद नहीं सताती ।बहुत खलती है मुझे उसकी कमी। वही मेरी जिंदगी में सब कुछ था। इसलिए मैं यह कभी नहीं चाहूंगी कि जो दर्द मैंने सहा वह कोई और भी सहे।"यह कहते हुए ममता जी अपने आंसुओं को रोक ना सकी।
(To be continued...)
© Tejas
इंस्पेक्टर विजय ने कहा आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। आपने बहुत अच्छा किया कि यह जानकारी हमें दे दी। हो सकता है वहां कोई गैर कानूनी काम चल रहा हो। यह भी हो सकता है कि वहां कोई ऐसा काम चल रहा हो जिससे कई मासूम जिंदगियां खतरे में हो। आपने वाकई हमारी बहुत मदद की है। भारत के हर नागरिक को आपकी तरह सतर्क रहना चाहिए।
ममता जी ने दर्द भरी आवाज में कहा-"मैंने अपने एकलौते बेटे को एक बम ब्लास्ट में खोया है। अपनों को खोने का दर्द बहुत अच्छी तरह समझती हूं। एक दिन ऐसा नहीं होता जिस दिन मुझे उसकी याद नहीं सताती ।बहुत खलती है मुझे उसकी कमी। वही मेरी जिंदगी में सब कुछ था। इसलिए मैं यह कभी नहीं चाहूंगी कि जो दर्द मैंने सहा वह कोई और भी सहे।"यह कहते हुए ममता जी अपने आंसुओं को रोक ना सकी।
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