...

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गर तुम इजाज़त दोगे.....
गर तुम इजाज़त दोगे.....

तू युवावस्था में मेरा साथ दे या ना देना
लेकिन मुझे बुढ़ापा तेरे साथ बिताना है,

जब मुझे धुंधला दिखने लगेगा और..
तुम्हें भी लग जायेगा मोटा सा चश्मा..

जब मेरे हाथ में होगी छड़ी पतली सी,
और तुम्हारे हाथ भी कांपने लगेंगे..
तो डालकर तुम्हारे हाथों में हाथ अपना..
तुम्हारे कदमों से ये कदम मिलाना है।

गिर चुके होंगे शायद दांत मेरे..
शायद तुम भी तब रोटियां नहीं खा पा रहे होगे,
तब हम दोनों ही नहीं खा पाएंगे ये पूड़ी पराठे,
तब मुझे,तुम्हें अपने हाथ की दलिया खिलाना है।

जब तुम्हारे बाल भी चमक रहे होंगे चांदी से,
और मेरी लटें भी श्वेत रंग में रंग चुकी होंगी,
शायद दिखने लगी होगी मेरे सिर की जमीं,
या तुम्हारे बाल कम हो चुके होंगे सिर...