...

14 views

गर तुम इजाज़त दोगे.....
गर तुम इजाज़त दोगे.....

तू युवावस्था में मेरा साथ दे या ना देना
लेकिन मुझे बुढ़ापा तेरे साथ बिताना है,

जब मुझे धुंधला दिखने लगेगा और..
तुम्हें भी लग जायेगा मोटा सा चश्मा..

जब मेरे हाथ में होगी छड़ी पतली सी,
और तुम्हारे हाथ भी कांपने लगेंगे..
तो डालकर तुम्हारे हाथों में हाथ अपना..
तुम्हारे कदमों से ये कदम मिलाना है।

गिर चुके होंगे शायद दांत मेरे..
शायद तुम भी तब रोटियां नहीं खा पा रहे होगे,
तब हम दोनों ही नहीं खा पाएंगे ये पूड़ी पराठे,
तब मुझे,तुम्हें अपने हाथ की दलिया खिलाना है।

जब तुम्हारे बाल भी चमक रहे होंगे चांदी से,
और मेरी लटें भी श्वेत रंग में रंग चुकी होंगी,
शायद दिखने लगी होगी मेरे सिर की जमीं,
या तुम्हारे बाल कम हो चुके होंगे सिर पर..
तब तुम संवारना मेरे बचे इन्हीं बालों को..
और तब मुझे तुम्हारे बालों को सहलाना है।

तब पड़ चुकीं होंगी मेरे चेहरे पर झुर्रियां...
तुम्हारे चेहरे पर भी बिता वक्त दिखने लगेगा,
ढीली हो चुकीं होंगी हाथ की नसें..मांसपेशियां,
लेकिन हम भूल चुके होंगे बीती परेशानियां..
उस घड़ी भूल जायेंगे सबकुछ...
बस एक दुसरे से ही मिलना और मिलाना है।

भले ही हम ढल चुके होंगे सूरज की तरह..
भले ही शाम की तरह धुंधला चुकी होंगी उम्मीदें,
भले ही ख्वाहिशें नहीं रही होंगी तब कोई..
भले ही तब कोई विशेष रुचि ना रह गई होगी..
फिर भी तुम संवरकर आना मिलने मुझसे..
मैं भी सज धज कर आऊंगी मुलाकात करने तुमसे।

हम तब भी जवां ही होंगे एक दूसरे के लिए...

तब तुम पूरे कर लेना तुम्हारे अरमान सारे...
साईकिल पर,मोटरसाइकिल पर घुमाने के ख़्वाब सारे,
हां तुम्हारी कई ख्वाहिशें हैं जो मैं भी समझती हूं...
तुम्हारी हर इच्छा पूरी करेगी ये “आकांक्षा”.....
वक्त बिताने को तरसते हैं अभी हम दोनों...
तब थामकर वक्त का हाथ...हम साथ साथ चलेंगे..
कभी समंदर के किनारे...
कभी कच्ची पक्की मेड़ों पर..
कभी क्यारियों में फूलों की...
कभी घास फूस की बनी झोपड़ियों में...
हम वो सब सपने जिएंगे...तुमने देखे थे कभी...
मैं फिर से जीवित करूंगी तुम्हारे मृत हुए एहसासों को।

इंतज़ार भले कितना ही क्यों ना करना पड़े हम करेंगे,
और एक दिन जब हम स्वच्छंद होंगे...
हम स्वतंत्र होंगे...एक दूसरे के साथ में...
तब ना ही कोई बंदिश होगी,ना ही कोई बंधन...
ना ही कोई रोकने वाला होगा,ना ही कोई रोकने वाला,
ना ही कोई बदनाम करेगा हमारे रिश्ते को...
ना ही एक भी ऊंगली उठेगी हमारी तरफ़...

खुला आसमान होगा,सारा जहान अपना होगा..
जो ना मिले इस धरा पर तो क्या हुआ...
मिल लेंगे किसी दूसरी दुनिया में हम दोनों...
पर एक दिन जरूर सच हमारा सपना होगा...

मुझे यकीन है कि हम एक दिन ज़रूर मिलेंगे..
इस दुनिया में ना सही.. उस ऊपर वाले की दुनिया में ही सही...
पर वादा है तुझसे...कि गर तूने चाहा...तो हम ज़रूर मिलेंगे...
गर तूने चाहा तो हम ज़रूर मिलेंगे...

और अगर तूने ना चाहा...तो तुझे हम दूर से देख लेंगे.. पर तुझे हम दिखेंगे कभी ना...
क्योंकि तेरी खुशी के लिए तो कुछ भी....ये जिंदगी तो क्या सौ जिंदगी भी फना।।😊😊

~तुम्हारी❤️

#मेरीप्रेमयात्रा

#आकांक्षा_मगन_सरस्वती

© ~ आकांक्षा मगन “सरस्वती”