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Ishaq Wali kahani Part-3
"बेटा आपके प्लान्स क्या हैं ?" एक बेरुआबदार सा चेहरा , जिसपर मूंछें शायद उगाई ही इसीलिए गयीं थीं कि रुआब ना सही , रुआब की एक झलक तो दिख ही जाए |
पर शिव को कहाँ कुछ याद की उसे आगे क्या करना है , वो तो उन आँखों में खोने की कोशिश कर रहा था , जो उसके सामने थीं | इतना लम्बा इंतज़ार जो किया था , इतनी हसरतें , इतने अरमान !!!!
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तीनों को जबसे पता चला था कि पूरा परिवार घर की सफाई के बहाने घर देखने भी आ रहा है , पूरे परिवार को देखने की उन तीनों की हसरत और बढ़ गयी थी , जिसका कारण पहले बताया जा चुका है |
स्कूटर के रुकने की आवाज़ के साथ ही शिव और शेखू भागकर छज्जे पर पहुंचे | नीचे देखा | हेलमेट लगाए , एक अंकल टाइप आदमी ड्राइवर की सीट पर विराजमान थे | और पीछे की सीट पर जो था वो ना तो उनकी पत्नी और ना ही बेटी लग रहा था | शेखू पहचान गया कि ये तो वही है जो दूकान से पेंट का सामान ले गया | स्कूटर चालक ने जिस रुतबे से सामने वाले घर का ताला खोला , उससे उनके मालिक होने का शक , यकीन में तब्दील हो गया |
मतलब "वो" अभी भी नही आयी | शिव उदास हुआ जो उसका बनता था पर शेखू दनदनाता हुआ नीचे गया , और पीछे रिक्शे पर आये सामान को उतरवाने लगा | शिव ये ऊपर से देख रहा था | जब शेखू की पीठ सामने वाले घर के मालिक ने थपथपाई , शिव को उस मैच में हार जाने की फीलिंग आ गयी जो अभी शुरू भी नहीं हुआ था |
वो अपने कमरे में जाकर बैठ गया , थोड़ी देर में शेखू भी आ गया |
"ये क्या था ?" शिव ने उखड़ते हुए पूछा।
"कुछ नहीं , होने वाली भाभी के पिताजी ...