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मुज़ीरिस का श्राप
मुज़ीरिस का श्राप



समुद्र का गर्जन, मानो प्रकृति का क्रोध था। विशाल लहरें, कोरल रेतीले तट को चूमती हुई, जोर से टूटतीं। मानो सागर, किसी प्राचीन शाप से मुक्त होने के लिए संघर्ष कर रहा हो। इसी उथल-पुथल के बीच, एक छोटी सी नाव, लहरों की दया पर छटपटा रही थी। नाव में, एक युवक बैठा था, जिसका चेहरा, डर और उम्मीद से भरपूर था। उसका नाम था आर्यन, एक साहसी खोजकर्ता, जो खोए हुए शहर मुज़ीरिस की खोज में निकला था।

पुराणों में वर्णित मुज़ीरिस, एक ऐसा शहर था, जो कभी समुद्र के किनारे समृद्धि का प्रतीक था। व्यापारियों का केंद्र, विद्वानों का संगम, और कला का उद्गम स्थल। लेकिन, सदियों पहले, एक भीषण तूफान ने इस शहर को निगल लिया था। कुछ कहते हैं, यह प्रकृति का क्रोध था, तो कुछ मानते हैं, कि यह शहर किसी प्राचीन शाप का शिकार हुआ था।

आर्यन, इस रहस्य को उजागर करना चाहता था। वह मानता था, कि मुज़ीरिस के अवशेषों में, प्राचीन भारत की महान सभ्यता के अंश छिपे हुए हैं। लेकिन, समुद्र का क्रोध, उसकी यात्रा को कठिन बना रहा था। लहरें, नाव को लगातार धक्का दे रही थीं, मानो उसे वापस लौटने का आदेश दे रही हों।

आर्यन ने दृढ़ निश्चय किया। उसने अपनी नज़रें समुद्र की गहराइयों में डुबोईं, जहां कहीं दूर, एक चमकती हुई वस्तु दिखाई दे रही थी। वह वस्तु, एक प्राचीन मंदिर का शिखर हो सकता था, या फिर, मुज़ीरिस की कोई अन्य अवशेष। आर्यन ने नाव को उस दिशा में मोड़ा और तेजी से आगे बढ़ने लगा।

समुद्र का गर्जन अब भी जारी था, लेकिन आर्यन के मन में, एक अजीब सी उत्सुकता जाग रही थी। क्या वह सचमुच मुज़ीरिस के खोए हुए रहस्य को उजागर कर पाएगा? क्या वह सागर के श्राप को तोड़ पाएगा?

आर्यन, धीरे-धीरे समुद्र की गहराइयों में उतरता है। उसे कुछ अजीबोगरीब आवाज़ें सुनाई देती हैं। क्या ये आवाज़ें, मुज़ीरिस के खोए हुए निवासियों की हैं?


गहराई में डूबता सत्य......

समुद्र की गहराई में डूबते हुए, आर्यन ने सांस रोक ली। पानी का दबाव बढ़ रहा था, लेकिन उसकी उत्सुकता, उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रही थी। धीरे-धीरे, वह एक विशाल संरचना के पास पहुंचा। यह एक मंदिर था, विशाल स्तंभों पर टिका हुआ, जिसकी दीवारों पर, समुद्री जीवों ने अपना घर बना लिया था।


मंदिर के प्रवेश द्वार पर, एक विशाल पत्थर की मूर्ति थी,
जिसका चेहरा, सदियों से छिपे रहस्यों से भरा हुआ था। आर्यन ने सावधानी से मंदिर के अंदर प्रवेश किया। अंदर, अंधेरा छाया हुआ था, लेकिन कुछ चमकती हुई वस्तुएं, प्रकाश का मार्गदर्शन कर रही थीं।


आर्यन ने देखा, कि मंदिर के फर्श पर, कई मूर्तियां पड़ी हुई थीं। इन मूर्तियों पर, अद्भुत नक्काशियां थीं, जो प्राचीन भारत की कला और संस्कृति को दर्शा रही थीं। वह समझ गया, कि वह सही रास्ते पर है। मुज़ीरिस, सचमुच मौजूद था, और इसके अवशेष, सदियों बाद भी, अपनी कहानी बयान कर रहे थे।


अचानक, एक अजीब सी आवाज़ सुनाई दी। यह मानो किसी का रोना था, एक दमकती हुई आवाज़, जो मंदिर के कोने से आ रही थी। आर्यन, सावधानी से उस दिशा में बढ़ा। वहां, एक छोटा सा कमरा था, जिसके अंदर, एक महिला बैठी हुई थी। उसके चेहरे पर, सदियों का दुःख समाया हुआ था।


महिला ने आर्यन को देखा, तो उसकी आंखों में आश्चर्य झलकने लगा। उसने धीमी आवाज़ में कहा, "तुम कौन हो? और यहां कैसे आए?"


आर्यन ने खुद को परिचित कराया और बताया, कि वह मुज़ीरिस के बारे में जानना चाहता है। महिला ने एक लंबी सांस ली और बोली, "मुज़ीरिस... वह एक महान शहर था, लेकिन..."
उसने अपनी आँखें बंद कर लीं, मानो किसी दर्दनाक स्मृति को याद कर रही...