...

27 views

बुद्ध बना
#शर्त
चंदन को शर्त लगाना और फिर उसे जीतना बहुत पसंद था। हर बात पर शर्त लगाना उसकी आदत में शुमार हो गया था। इसलिए चंदन को लोग शर्तिया चंदन कह कर बुलाते थे। आज फिर उस ने शर्त लगाई थी आनंद से कि वह बड़ी हवेली के बगीचे से दस आम तोड़ के लायेगा। चंदन दूसरे दिन दीवार फांद कर हवेली के बाग़ में घुसा और देखा वहां तो कोई भी नहीं है। हां मुख्य द्वार पर कुछ पहरेदार बंदुक ताने खड़े थे
फिर इतनी सी मामुली शर्त आंनद ने क्यों दिया ?
चंदन सोचने लगा खैर किसी तरह वह आम छोड़ लाता है।
चंदन आम आनंद को देते हुए कहता है
कितना सरल था आम तोड़ना ।
तुम कायर हो ,या काम चोर
चंदन अपनी जीत पर खुशी मना रहा था मन ही मन कहा कि मैं सबसे जुदा हूं।
आनंद ने कहा ऐसा नहीं है कि मैं ऐसा हूं पर कुछ राज होते हैं ऐसे जो कहा नहीं जाता।
बस इतना समझो अभी आम के भाव बहुत ऊंचे हैं
आनंद कुटील मुस्कान से आम का रसानन्द लिया।

चंदन अब अवाक से उसका मुंह देखते रह गया सोच में पड़ गया मैंने शर्त जीती या हारी।
चंदन ने कसम खाई अब से बिना सोचे समझे शर्त नहीं लगाऊंगा किसी से।