दफ़न कब्र ऐ मोहब्बत।।
दफ़न कब्र की मोहब्बत।।💔
बेपनाह मोहब्बत थी हमें उनसे🤵🏻
हम मुलाकातों के मंजर करने लगे उनसे ।।
महफिलों में इश्क बरसाते रहे वो हम पे
हम जिंदगी भर का साथ उनका मांगने लगे खुदा से ।।
वो कहने 🤵🏻 लगे
तुम चांदनी बनकर उजाला करने लगे हो हमपे
और हम बेइंतहा चाहने लगे अब उन्हें।।
कहने लगे इश्क में तुम क्या कर सकते हो
कहने लगे इश्क में तुम क्या कर सकते हो।।
हम कहने लगे दफ़नकब्र में से भी तुम्हें मोहब्बत करेंगे ।।
कहने लगे कबूल है तुम्हें हमारी मोहब्बत ।
हां हमें कबूल है तुम्हारी हर इबादत ।।
मुलाकात करो कभी कब्रिस्तान में फिर हमसे
वो मुलाकात हसीन रहेगी तुम्हारी हमसे
वो कहने लगे।।
तो दफन हो जाओ तुम इसी जगह कब्र में
हमें मोहब्बत है किसी और शख्स से ।
हमारी मुलाकात और मोहब्बत मुकम्मल रहेगी इस कब्र में।
दफन हो गए हम उसी जगह कब्र में।।
और उनकी मोहब्बत मुकम्मल हुई किसी और की कब्र में।।
वृंदा।।।।।
I love writing poetry ❤️ Vrinda
बेपनाह मोहब्बत थी हमें उनसे🤵🏻
हम मुलाकातों के मंजर करने लगे उनसे ।।
महफिलों में इश्क बरसाते रहे वो हम पे
हम जिंदगी भर का साथ उनका मांगने लगे खुदा से ।।
वो कहने 🤵🏻 लगे
तुम चांदनी बनकर उजाला करने लगे हो हमपे
और हम बेइंतहा चाहने लगे अब उन्हें।।
कहने लगे इश्क में तुम क्या कर सकते हो
कहने लगे इश्क में तुम क्या कर सकते हो।।
हम कहने लगे दफ़नकब्र में से भी तुम्हें मोहब्बत करेंगे ।।
कहने लगे कबूल है तुम्हें हमारी मोहब्बत ।
हां हमें कबूल है तुम्हारी हर इबादत ।।
मुलाकात करो कभी कब्रिस्तान में फिर हमसे
वो मुलाकात हसीन रहेगी तुम्हारी हमसे
वो कहने लगे।।
तो दफन हो जाओ तुम इसी जगह कब्र में
हमें मोहब्बत है किसी और शख्स से ।
हमारी मुलाकात और मोहब्बत मुकम्मल रहेगी इस कब्र में।
दफन हो गए हम उसी जगह कब्र में।।
और उनकी मोहब्बत मुकम्मल हुई किसी और की कब्र में।।
वृंदा।।।।।
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