भूख ,, अपराध का सबसे बड़ा कारण,,
हैलो दोस्तो मैं आप सब की प्यारी मुस्कान एक बार फिर से हाज़िर हूं लेकर अपनी काल्पनिक कहानियों की किताब,,
📝
ये कहानी कुछ इस से प्रकार शुरू होती हैं,, रामपुर नाम के गांव में एक किसान रहता था,, जो कि काफी गरीब था किसी तरह उसने अपने खेत में धान लगाया आस पास के लोगों से कर्ज लेकर,,
अब किसान बस इस ही उम्मीद में था कि उसके खेत में धान की फसल अच्छे से लगे ताकि वो सबका कर्जा उतार सके और अपने बीवी बच्चो का पेट पाल सके,,
लेकिन उसकी सारी उम्मीद धरी की धरी रह गई ,, एक पल में बाढ़ आईं और उसके सारे सपने पानी के साथ बहाकर ले गई,,
अब किसान गहरी चिंता में डूब चुका था कि वो लोगो का इतना कर्ज कैसे चुकाएगा और अपने बीवी बच्चो को क्या? खिलाएगा,,
तभी गांव के एक आदमी ने उसके अंदर आशा की एक किरण जगाई और कहा कि तुम अपने बेटे को मेरे साथ शहर भेज दो वहा पर कोई अच्छा सा काम देख कर मै इसे लगा दुगा फिर धीरे धीरे ये तुम्हारा सारा कर्जा उतार देगा,,
किसान ने पहले तो मना कर दिया क्युकी उसका बेटा अभी सिर्फ 17,, साल का था लेकिन घर के हालातो को देखते हुए उसने आखिर हामी भर ही दी,,
आज से मुकेश की एक नई जिंदगी शुरुआत होने वाली थी एक अनजाने शहर में सब कुछ बेगाना सा ,, थी तो बस उसकी आंखो में एक छोटी सी उम्मीद अपने पिता के सर से कर्जा उतारने की ,,
ओर एक जिम्मेदारी,, जो उसे हर हाल में निभानी थी,,
मुकेश काफी दिन तक काम कि तलाश में इधर उधर भटकता रहा लेकिन उसको कोई काम नहीं मिला ,, और गांव का जो आदमी उसे अपने साथ
लेकर गया था वो भी उसकी कोई मदद नहीं कर रहा था,,
मुकेश घर से जो दो चार सौ रुपए लेकर निकला था वो भी अब ख़त्म हो
गए,,
भूख प्यास से व्याकुल मुकेश इधर उधर भटक रहा था,, तभी उसे सामने एक छोटा सा ढाबा दिखाई दिया,,
उसने सोचा की चलो यहां पर देखते कोशिश करके देखते हैं उसने ढाबे के
मालिक ने कहा साहब कोई काम मिलेगा चाहे तो बदले में मझे आप
पैसे मत देना बस पेट भरने के लिए दो रोटी दे देना लेकिन ढाबे के मालिक ने उसे काम देने से साफ़ साफ इंकार कर दिया,,
लगभग तीन चार दिनों से भूखा मुकेश भूख प्यास से तड़प रहा था,,
अपने पेट की आग बुझाने के लिए वो
नादान एक गलती कर बैठा,, उसने ढाबे से दो रोटी चुराकर अपनी जेब में डाल ली,,
ढाबे के मालिक के मुकेश को ऐसा करते हुए देख लिया लेकिन उसे ये नहीं दिखा की मुकेश ने क्या चुराया था,,
ढाबे के मालिक को लगा की उसने जरूर कुछ कीमती सामान चुराया होगा,, इससे पहले कि मुकेश कुछ बता पाता कि आस पास के सब लोग वहा आ गए,,
और बिन पूरा बात जाने मुकेश को हैवानों की तरह पीटने लगे उन्होंने मुकेश को मार मार कर बिल्कुल अधमरा कर दिया,,
जब इस घटनाक्रम के बारे में पुलिस को पता लगा तो पुलिस वहा पर पहुंची और ढाबे के मालिक की पूरी बात सुनी,,
मुकेश बिहोश हो गया था ,, पुलिस ने मुकेश कि जेब में हाथ डालकर देखा तो उनकी आंखो से आंसू छलक गए क्युकी मुकेश कि जेब में उन्हे कोई कीमती सामान नहीं बल्कि दो सुखी रोटी मिली,,
ये देख आस पड़ोस के सभी लोग हैरान रह गए,, अब सब को पछतावा था,, पर क्या फायदा अब मुकेश अपनी आख़िरी सांसें ले रहा था,,
ये बात मुझे सोचने पर मजबुर कर देती हैं कि हम किसी के हालात को बिना जाने ही क्यों ? उसे अपराधी मान लेते हैं,,
हम क्यों ?किसी को समझने की कोशिश नहीं करते हैं,,
काश कि किसी ने पूरी बात जानने की कोशिश की होती तो शायद आज एक निर्दोष बच्चा अपराधी बनने से पहले बच जाता,,
📝 By muskan
© All Rights Reserved
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ये कहानी कुछ इस से प्रकार शुरू होती हैं,, रामपुर नाम के गांव में एक किसान रहता था,, जो कि काफी गरीब था किसी तरह उसने अपने खेत में धान लगाया आस पास के लोगों से कर्ज लेकर,,
अब किसान बस इस ही उम्मीद में था कि उसके खेत में धान की फसल अच्छे से लगे ताकि वो सबका कर्जा उतार सके और अपने बीवी बच्चो का पेट पाल सके,,
लेकिन उसकी सारी उम्मीद धरी की धरी रह गई ,, एक पल में बाढ़ आईं और उसके सारे सपने पानी के साथ बहाकर ले गई,,
अब किसान गहरी चिंता में डूब चुका था कि वो लोगो का इतना कर्ज कैसे चुकाएगा और अपने बीवी बच्चो को क्या? खिलाएगा,,
तभी गांव के एक आदमी ने उसके अंदर आशा की एक किरण जगाई और कहा कि तुम अपने बेटे को मेरे साथ शहर भेज दो वहा पर कोई अच्छा सा काम देख कर मै इसे लगा दुगा फिर धीरे धीरे ये तुम्हारा सारा कर्जा उतार देगा,,
किसान ने पहले तो मना कर दिया क्युकी उसका बेटा अभी सिर्फ 17,, साल का था लेकिन घर के हालातो को देखते हुए उसने आखिर हामी भर ही दी,,
आज से मुकेश की एक नई जिंदगी शुरुआत होने वाली थी एक अनजाने शहर में सब कुछ बेगाना सा ,, थी तो बस उसकी आंखो में एक छोटी सी उम्मीद अपने पिता के सर से कर्जा उतारने की ,,
ओर एक जिम्मेदारी,, जो उसे हर हाल में निभानी थी,,
मुकेश काफी दिन तक काम कि तलाश में इधर उधर भटकता रहा लेकिन उसको कोई काम नहीं मिला ,, और गांव का जो आदमी उसे अपने साथ
लेकर गया था वो भी उसकी कोई मदद नहीं कर रहा था,,
मुकेश घर से जो दो चार सौ रुपए लेकर निकला था वो भी अब ख़त्म हो
गए,,
भूख प्यास से व्याकुल मुकेश इधर उधर भटक रहा था,, तभी उसे सामने एक छोटा सा ढाबा दिखाई दिया,,
उसने सोचा की चलो यहां पर देखते कोशिश करके देखते हैं उसने ढाबे के
मालिक ने कहा साहब कोई काम मिलेगा चाहे तो बदले में मझे आप
पैसे मत देना बस पेट भरने के लिए दो रोटी दे देना लेकिन ढाबे के मालिक ने उसे काम देने से साफ़ साफ इंकार कर दिया,,
लगभग तीन चार दिनों से भूखा मुकेश भूख प्यास से तड़प रहा था,,
अपने पेट की आग बुझाने के लिए वो
नादान एक गलती कर बैठा,, उसने ढाबे से दो रोटी चुराकर अपनी जेब में डाल ली,,
ढाबे के मालिक के मुकेश को ऐसा करते हुए देख लिया लेकिन उसे ये नहीं दिखा की मुकेश ने क्या चुराया था,,
ढाबे के मालिक को लगा की उसने जरूर कुछ कीमती सामान चुराया होगा,, इससे पहले कि मुकेश कुछ बता पाता कि आस पास के सब लोग वहा आ गए,,
और बिन पूरा बात जाने मुकेश को हैवानों की तरह पीटने लगे उन्होंने मुकेश को मार मार कर बिल्कुल अधमरा कर दिया,,
जब इस घटनाक्रम के बारे में पुलिस को पता लगा तो पुलिस वहा पर पहुंची और ढाबे के मालिक की पूरी बात सुनी,,
मुकेश बिहोश हो गया था ,, पुलिस ने मुकेश कि जेब में हाथ डालकर देखा तो उनकी आंखो से आंसू छलक गए क्युकी मुकेश कि जेब में उन्हे कोई कीमती सामान नहीं बल्कि दो सुखी रोटी मिली,,
ये देख आस पड़ोस के सभी लोग हैरान रह गए,, अब सब को पछतावा था,, पर क्या फायदा अब मुकेश अपनी आख़िरी सांसें ले रहा था,,
ये बात मुझे सोचने पर मजबुर कर देती हैं कि हम किसी के हालात को बिना जाने ही क्यों ? उसे अपराधी मान लेते हैं,,
हम क्यों ?किसी को समझने की कोशिश नहीं करते हैं,,
काश कि किसी ने पूरी बात जानने की कोशिश की होती तो शायद आज एक निर्दोष बच्चा अपराधी बनने से पहले बच जाता,,
📝 By muskan
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