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मैं और चांद पार्ट-3
"चांद और सुंदरता"


रात में, मैं फिर से सब काम खत्म करके और छत पर जाकर चांद का इंतजार करने लगा। थोड़ी देर में चांद बादलों की ओट से निकलकर सामने आ गया, और पूछने लगा- "कैसा गया आज का दिन?"
मैंने हंसते हुए बोला- "थैंक्यू दोस्त, आज तुम्हारी वज़ह से मेरे और दोस्त के बीच की गलतफहमियां दूर हो ग‌ई और हम फिर से दोस्त बन गए। अगर तुम न होते तो शायद हम दोनों फिर कभी बात नहीं कर पाते।"

चांद मुस्कुराया और बोला- "अच्छा! तो फिर जाओ और आराम करो तुम्हारी समस्या तो दूर हो गई न।"
मैंने चांद की तरफ देखा और मुस्कुराते हुए बोला- "हां, पर अब मेरा एक और नया दोस्त है, जो रात मैं अक्सर अकेला रहता है, मैं उसके साथ कुछ समय बिताने आया हूं।" 

चांद मेरी तरफ देखकर मुस्कुराने लगा और कहा- "तो क्या करने का विचार है?"
मैंने चांद की तरफ देखकर कहा- "कल तुमने जो अपने बारे में बताया था, वह मेरे लिए बहुत न‌ई जानकारी थी और बहुत मददगार भी साबित हुई, तो क्या तुम मुझे अपनी ऐसी ही कहानियां और सुनाओगे, हो सकता है वो मुझे आगे चलकर काम आ जाएं।"

चांद ने कहा - ठीक है, मैं तुम्हें एक-एक करके अपनी सभी कहानियां और तथ्य बताऊंगा।" 
चांद इतना कहकर चुप हो गया और फिर थोड़ी देर में बोला- "तो बताओ, आज किस बारे में जानना चाहते हो?"

मैंने थोड़ी देर तक सोचा और फिर कहा- "जब भी सुंदरता की बात आती है, तो सबसे पहले तुम्हारा ही नाम आता है। हर कवि और लेखक सुंदरता के लिए तुम्हारी ही उपमा देता है, इसके बारे में कुछ बताओ।"

चांद हंसा और बोला- "मैं कहां सुंदर हूं? ये तो देखने वाले की आंखों और मन की सुंदरता है, जो वो मुझमें देखता है, वरना किसी के लिए तो मैं दाग़दार हूं और किसी के लिए सिर्फ एक पत्थर का टुकड़ा।"
मैंने फिर उससे पूछा - "मतलब?, यह सब विस्तार से बताओ न।"
चांद ने कहा - "तो सुनो।"

चांद ने आगे बताना शुरू किया - "जब कोई कवि/लेखक अपनी कलम लेकर रात के अंधेरे में बैठता है, और अपने प्रेमी/प्रेमिका के विषय में सोचते हुए मेरी तरफ नजरें घुमाता है, तो वह मुझसे होकर जाने वाली चांदनी की चमक को देखता है और उसमें वह अपनी प्रेमिका या प्रेमी के सुंदर स्वरूप को देखता है, इसलिए वह मुझे सुंदरता के उपमान के रूप में प्रयोग करते हैं। वह सब छोड़कर मुझसे आने वाली किरणों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, इसलिए यह मेरी सुंदरता नहीं बल्कि उनकी आंखों का गुण है।

और दूसरे होते हैं वह लोग जिनहें रात्रि के इस घोर अंधकार के बीच में भी मेरे ऊपर लगा हुआ एक काला धब्बा या दाग़ नजर आता है। उन लोगों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं क्या करता हूं, मैं सुंदर हूं नहीं हूं, मेरी किरणें कितनी रोशनी दे रही हैं, उन्हें बस नजर आता है तो सिर्फ और सिर्फ मेरे चेहरे का यह दाग़।

और तीसरे हैं वह लोग जिनका साहित्य से कोई लेना-देना नहीं है, जिन्हें तुम वैज्ञानिक कहते हो या और सही शब्द का उपयोग करूं तो - 'खगोलविज्ञानी'। उनके लिए न मेरी खूबसूरती कुछ है और न यह दाग़, उनके लिए तो मैं बस एक पत्थर का टुकड़ा हूं, जो अरबों साल पहले पृथ्वी से अलग हो गया था। उन्हें तो बस यही दिखाई देता है, कि मेरी सतह पर कितने खड्डे हैं, वह कैसे बने होंगे? उनके लिए मैं बस एक छोटा-सा खगोलीय पिंड (उपग्रह) हूं जो पृथ्वी के चारों ओर घूमता हूं।"

मैंने फिर चांद से पूछा - "फिर तुम अपने बारे में क्या सोचते हो, तुम सुंदर हो या नहीं।"
चांद मुस्कुराया और बोला - " इससे क्या फर्क पड़ता है, मैं सुंदर हूं या नहीं? मेरे लिए तो मेरी सुंदरता इसी में है कि मैं हर रोज यहां आकर पूरी इमानदारी और निष्ठा से अपना काम करता हूं। इससे क्या फर्क पड़ता है, कि मुझमें कोई दाग़ है या लोग मुझे पत्थर मानते हैं, पर वो भी इस बात से इंकार नहीं कर सकते कि मेरा काम धरती के लिए कितना आवश्यक है। मेरे लिए तो यह महत्वपूर्ण है कि मैं खास तरह से रात्रि के अंधकार में लोगों के लिए पथ-प्रदर्शक के रूप में मदद करने का साधन हूं। यही मेरे लिए मेरी सुंदरता है।"

मैं चांद को एकदम टकटकी लगाकर देखे जा रहा था। आज चांद ने मुझको सिखा दिया था कि यह मायने नहीं रखता कि आप चेहरे से कैसे दिखते हैं?, आपका रंग क्या है?, यह सब तो हमारी उम्र और रहने के स्थान के साथ बदलता ही जाएगा। पर जो सबसे महत्वपूर्ण है, वह यह कि हमारे मन कैसा है?, हमारे विचार क्या हैं?, हम किसी के साथ कैसा व्यवहार करते हैं? और हमारे कार्य कैसे हैं? और अगर इन सब का उत्तर "अच्छा"  है, तो आप किसी भी रंग, रूप के हों, लोग आपको कुछ भी कहते रहें, आप सचमुच खूबसूरत हैं।

चांद मेरी सोच को भंग करते हुए पूछने लगा - "किस सोच में डूब गए?"
मैंने कहा - " कुछ नहीं बस यह सोच रहा हूं कि तुमसे बातें करना मेरे लिए कितना मददगार हो रहा है, तुम मेरे विचारों को कितना खुलने में मदद कर रहे हो।"
चांद हंसा और कहा- "अच्छा!तो चलो अब बाकी के विचार कर खोलना, आज तुम्हारे जाने का समय हो गया है।"
मैंने घड़ी की तरफ देखा और मुस्कुराकर कहा - "तुम्हारे साथ समय का पता ही नहीं चलता।"
मैं उठा और मुस्कुराते हुए चांद से विदा लेकर नीचे आ गया और सोने चला गया।
— अनिकेत साहू।

नोट:- यह चित्र आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा निर्मित है।

पार्ट-4:- चांद का महत्व



© Aniket Sahu