...

3 views

मेरा विश्वास है ,वह जरूर लौटेगा

दीदी आ रही हो न आप ? कहाँ आना है ,
हॉस्पिटल ही आइये आप ।मम्मी है मेरे साथ वैसे तो पर
आप आ जाओ तो बड़ा सहयोग मिलेगा ।
हाँ हाँ मैं पहुँच जाऊँगी ,चिन्ता न करना कोई ।
(ननद और भाभी की उक्त बातचीत तकरीबन 15 मिनट तक
फोन पर जारी है ! ननद जिसका नाम गौरी है दूर ससुराल से फोन पर अपनी भाभी पूजा को ढाढ़स बँधा रही है ।
पूजा का पति बेरोजगार हैै और लापरवाह भी ,अपने पड़ोसी से आपसी कहासुनी ,झूमा झटकी के बाद काम की
तलाश में बाहर ,पूजा को असहाय छोड़कर घर से चला जाता है )
गौरी अस्पताल पहुंचती है वहाँ अपनी भाभी और माँ को
रुम के बाहर बैठा देखती है और पूछती है
क्या हुआ मम्मी क्या हुआ पूजा आप के साथ मंंजू दीदी थी
ना वो चली गई क्या !
हाँ वह तो रात को ही हमें छोड़कर चली गई पूजा सामान्य थी
तो नर्सों ने एक अन्य पेशेंट को इसका बेड दे दिया और तब से हम बाहर ही पड़े है ।
वह तो अच्छा है मौसम सूखा है गर्मी है वर्ना ठंड होती तो
फजीहत हो जाती ,मम्मी ने कहा ।
फजीहत ये क्या कम फजीहत है लावारिसों की तरह
दालान में पड़े हो कोई पूछ परख नहीं हो रही ,
प्रसव का समय निकट है साथ में कोई नहीं
अरे ! तेरा बेटा ,इसका पति ,मेरा भाई तक इसको इस हाल में छोड़ गया ।
क्या रखा मान उसने सात फेरो का ,सात वचनों का ,
और मम्मी आप और मैं क्या कर लेंगे ,ईश्वर न करें इसको अगर कुछ हो गया तो ?
बेरोजगार पति ,लापरवाह बाप का फर्ज निभा रहा है पलायन करके ।
ऐसे जिम्मेदारियों से भागता है कोई ,
क्या सोचकर पराई बेटी को अपना बनाते हैं हम !
अपना घर ,अपना परिवार छोड़कर एक अंजान के साथ अपने सपनों का संसार बसाने आ जाती है बेटियाँ ।
और जब ये सिला मिलता हैै उनके विश्वास का तो क्या गुजरती होगी उनके मन पर !
क्या कर लेगी मम्मी आप ,अरे ! नालायक के साथ शादी करा कर तुमने केवल अपना स्वार्थ भर देखा है दूसरे की
फीलिंग ,सुख दुख ,जीवन मृत्यु किस बात की परवाह की
है उसने ।
अब समझ आया क्यों कहते हैं गाय बेटियों को ,शायद इसीलिए कि जिस खूँटे से बाँध दो ,बँध जाती है ,
कैसी तुलना है यह , यही आज घटते देख रही हूँ मैं पूजा के
जीवन में । भगवान बचाएंगे अब सभी भँवर से पार लगायेंगे!
वह सोचती हुई बड़बड़ाते हुए उसके प्रसव हेतु हॉस्पिटल की
भर्ती की फार्मलिटीज पूरी करने हेतु निकल जाती है ।
थोड़ी देर बाद उन्हें बेड मिल जाता है ,अन्ततः भर्ती के बाद
शाम तक उसको बेटी मनु का जन्म होता है ।
गौरी और उसकी माँ की ऑंखों में ऑंसू आ जाते हैं वे डाक्टर्स ,नर्स की टीम और अन्य स्टॉफ का बार बार आभार
मानते है और इसे परमपिता की महती कृपा मानते हैं ।

गौरी पूजा से कहती है काश ! लखन भी यहाँ होता ।
दीदी ! कोई बात नहीं आप ही हमारी संकटमोचक हो जो
एक फोन पर हमारे पास आ गई । इसके पापा भी आएंगे ही , लड़की का प्यार उसकी पुकार वह अनसुनी नहीं कर
पाएंगे , ये खून है उनका ,एक पिता अपने दायित्व को हर हाल में निभाता है यदि उसका जमीर जिन्दा है तो (थोड़ा ठहरकर ,साँस लेकर ,सोचकर ..उसकी ऑंखों में आए आँसू पोंछकर वह फिर बोलने लगती है )

मेरा विश्वास है वो जरूर लौटेगा ।
प्यार से जिम्मेदारी आती है ,लापरवाही जाती है ,मनु का
प्यार उसे जरूर वापस बुलायेगा ।मैं यहाँ उसके भरोसे ही तो हूँ मेरे माँ बाबा तक ये बात पहुंचेगी तो उन्हें बड़ा दुख होगा,
पूजा बोलती जा रही थी उसे नर्स ने मना किया तुम रेस्ट करों
बोलना नहीं है तुम्हें ,पूजा मौन हो गई ।
गौरी सोचती है सच ही कहा है किसी ने बेटी दो कुलों को जोड़ने वाला पुल है जरिया है वह थामकर रखती है रिश्तों को , आपसी बँधनों को प्रेम,विश्वास की शक्ति,संतुलन से ।
गज़ब है विश्वास का जज़्बा भी ,थोड़ी देर पहले तक उलाहने के भाव थे अब सुर ही बदल गए हैं ।
( ये विश्वास की शक्ति ही थी कि फोन करने पर अगले 48 घण्टे में उसका पति लखन उनके सामने उपस्थित था ,
वह शर्मिन्दा था उसने माफ़ी माँगी अपने लापरवाही और दायित्व को भूल गैर जिम्मेदाराना व्यवहार के लिए भी
उसने आने के बाद छुट्टी की सारी औपचारिकताएँ पूरी की
और वे सभी ख़ुशी खुशी घर लौटे )
यह कथानक फिल्मों की तरह नाटकीय ढंग से घटा जिसे
देखकर सब दंग थे ऐसा भी होता है ?

©MaheshKumar Sharma
29/12/2022

#Writcostory
#Storywrittenbyme
#MaheshKumarSharma

© All Rights Reserved