मेरा विश्वास है ,वह जरूर लौटेगा
दीदी आ रही हो न आप ? कहाँ आना है ,
हॉस्पिटल ही आइये आप ।मम्मी है मेरे साथ वैसे तो पर
आप आ जाओ तो बड़ा सहयोग मिलेगा ।
हाँ हाँ मैं पहुँच जाऊँगी ,चिन्ता न करना कोई ।
(ननद और भाभी की उक्त बातचीत तकरीबन 15 मिनट तक
फोन पर जारी है ! ननद जिसका नाम गौरी है दूर ससुराल से फोन पर अपनी भाभी पूजा को ढाढ़स बँधा रही है ।
पूजा का पति बेरोजगार हैै और लापरवाह भी ,अपने पड़ोसी से आपसी कहासुनी ,झूमा झटकी के बाद काम की
तलाश में बाहर ,पूजा को असहाय छोड़कर घर से चला जाता है )
गौरी अस्पताल पहुंचती है वहाँ अपनी भाभी और माँ को
रुम के बाहर बैठा देखती है और पूछती है
क्या हुआ मम्मी क्या हुआ पूजा आप के साथ मंंजू दीदी थी
ना वो चली गई क्या !
हाँ वह तो रात को ही हमें छोड़कर चली गई पूजा सामान्य थी
तो नर्सों ने एक अन्य पेशेंट को इसका बेड दे दिया और तब से हम बाहर ही पड़े है ।
वह तो अच्छा है मौसम सूखा है गर्मी है वर्ना ठंड होती तो
फजीहत हो जाती ,मम्मी ने कहा ।
फजीहत ये क्या कम फजीहत है लावारिसों की तरह
दालान...