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इश्क़ दा वार-1992
इश्क़ दा वार-1992

वो मोहब्बत की चिंगारी 90 के दशक से सुलगना शुरू हों चुकी थी... मौसम वसंती हो कर अपने शवाब की और बढ़ रहा था.... हर यौवन के दिलों दिमांग में कही ना कही कुछ अजीब सा महसूस हो रहा था जो जवानी की देहलीज़ पर थे उनके मन का इस्थिर पन अब विचलित हो चला था.... मन में कोई राग बस यू ही बजने लगता तो स्कूल के युवाओं की गुन गुनाहट यदा कदा कानों में सुनाई देने लगी थी.... पर किस के मन में कौन था किस के लिए ये संगीत था ये तो वही जानें... पर हा एक जगह थी जहां नज़रों ही नज़रों में कोई एक दूसरे का सुकून चैन छीन रहा था... जब पहली दफा नज़रे मिली तो कुछ अजीब से सुकून का एहसास हुआ... और वो एहसास रोज़ की आदत में बदल...