...

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बस.. एक विचार..
हमारे जन्म से पूर्व हम नहीं थे... कुछ महसूस नहीं किया.., एक समय आएगा ज़ब.. कुछ महसूस नहीं कर पाएंगे, हमारा खूबसूरत घर जो हमारा शरीर है.. उसे छोड़ गुमनामी में चले जायेंगे...

हमें भाव , विचार,.. और समझ सब क्यूं मिले हैं .. ज़ब कि एक दिन सब खत्म हो जाना है.. हम एक मशीन की तरह क्यूं नहीं बने.. जो.. खाने और दुनिया चलाने तक सीमित हो...

लिखना बहुत चाहती हूं पर...आगे समझ नहीं आ रहा क्या लिखूं.. कभी कभार नहीं.. अक्सर यह संसार मिथ्या सा लगता है,

लूसी मूवी देखी थी कुछ साल पहले.. जिसमें बताया था कि हम अपने दिमाग़ का 4 % यूज़ करते हैं, किसी कारण से लूसी के दिमाग़ का पावर बढ़ने लगता है.. वह यह संसार ब्रह्माण्ड सब जानने लगती है,..जो मरने के बाद भी अमर रहेगी..

क्या कुछ ऐसा नहीं हो सकता कि हमारी भावनाए,.. चेतना जीवित रहे.. महसूस कर पाए इस संसार को... संसार के अंत तक...

#writco #thoughts








© अनकहे अल्फाज़...