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मायका
रात के दो बज रहे थे। सरिता train मे आधी सोई और आधी जागी हुई थी कि अचानक उसके मोबाइल पर कॉल आयी। उसने फोन उठाया दूसरी तरफ से आवाज आयी दीदी पापा की तबीयत फिर से वैसे ही खराब हो गई है और हम लोग पापा को लेकर हॉस्पिटल जा रहे हैं, जैसा भी होगा आपको बतायेंगे। ये कहकर प्रमोद ने फोन काट दिया।
सरिता का मन आशंकित हो गया। कुछ देर पहले ही उसने पापा के बारे मे एक बुरा सपना देखा था मगर उसे दिमाग से झटक दिया था, मगर अब उसे डर लगने लगा कि पापा को कुछ हो ना जाए । उसने दुबारा प्रमोद को फोन लगाया मगर फोन नहीं उठा। अभी वो सीमा को फोन लगाने जा ही रही थी कि सीमा का खुद ही रोते हुए फोन आया कि दीदी पापा हम लोगों को छोड़कर चले गये। हम लोग अनाथ हो गए दीदी।
सरिता सुबह ही तो पापा को ये कहकर आयी थी कि पापा अपना खयाल रखियेगा और पापा ने कहा चल, मेरा खयाल अब भगवान रखेंगे। सरिता winter break मे पापा से मिलने हरिद्वार से बनारस आयी थी। दस दिन रहकर वो जा ही रही थी कि अचानक से ये खबर आ गई। अभी तो वो घर भी नहीं पहुंची थी और train के हरिद्वार पहुंचने में अभी 5 घंटे बाकी थे ।
सरिता ने सबसे पहले भाई को फोन किया और बस यही बोला कि पापा की डेथ हो गई है और अब सब तुम्हें ही करना है, इसलिए जल्दी से बनारस जाओ। उसके बाद उसके हेमंत को फोन करके बताया। हेमंत को सरिता की चिंता होने लगी क्योंकि वो train में अकेले ही आ रही थी।
सुबह 6 बजे train हरिद्वार पहुंची। हेमंत सरिता को लेने आ गया था।उसने सरिता को गले लगाया और उसे सांत्वना दी। घर आकर सरिता ने बनारस में सीमा को फोन किया। तब तक उसकी दूसरी बहन मंजू और उसके पति राजेश भी पहुंच चुके थे और पापा की बॉडी के पास बैठकर सब रो रहे थे। भाई विक्की का फोन switch ऑफ था। राजेश गुस्से मे थे और कह रहे थे कि कोई नहीं आयेगा तो हम खुद ही दाह संस्कार कर देंगे। सरिता ने सीमा को बोला कि सबको समझा दे कि पापा का जो भी संस्कार है उसे शांति से करना है। वो भी Flight से शाम तक पहुंच जायेगी।
..........शेष अगले अंक में




© Dolly