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रॉन्गनंबर
#रॉन्गनंबर
बड़ी ज़ोर की बारिश हो रही थी। आसमान में बिजली कड़कड़ा रही थी पर घर पर बिजली गुल थी। तभी फोन की घंटी बजी और जीत ने रिसीवर उठा के कहा हैलो, कौन है? उधर से आवाज़ आई ओह, सॉरी, रॉन्ग नंबर, और फोन रख दिया गया। जीत को दो साल पहले की वो तूफानी रात याद आ गई। उस दिन भी तो...
ऐसी ही तूफानी रात थी।जो़रो की बारिश हो रही थी।उसी दौरान बिजली भी गुल हो जाती है।और एक ऐसा ही काॅल उस दिन भी आता है। फिर काॅल को रखने के तुरंत बाद अचानक से उसके दरवाजे की घंटी बजती है। जिसे सुनने के बाद जीत घबरा जाता है। बहुत हिम्मत करके वो कैंडल उठाकर दरवाजे की ओर बढ़ता है।और पूछता है कि कौन ?तब बाहर से आवाज आती है।प्लीज हमारी मदद कर दीजिए हम इस तूफानी रात में फंस चुके हैं। हमें एक रात के लिए अपने घर में जगह दे दीजिए। बहुत सोच विचार करने के बाद जीत दरवाजा खोल देता है।और उन्हें अंदर घर के अंदर प्रवेश करवा देता है।
वह दोनों पति पत्नी का जोड़ा था।जो गाड़ी के खराब होने के कारण बारिश में फंस जाते हैं। जीत उन्हें बैठने के लिए कहता है। उनके पीने के लिए पानी और खाना लाता है। वह दोनों अच्छे से भोजन करते हैं।और फिर जीत के साथ बैठकर बातें कर रहे होते हैं।जीत को एक डर भी सता रहा था।कि वो दोनों अजनबी पता नहीं कैसे हैं। जीत उनके साथ खुलकर बातें नहीं करता है।उसे लगता है।की वो उसका भेद लेकर उसके साथ कुछ भी कर सकते हैं।
दोनों पति पत्नी समझ जाते हैं।की जीत उनसे डर रहा है।वो जीत को कहते हैं कि वह उनसे ना डरे हम कोई कातिल या चोर नहीं है।जीत उन्हें कहता है कि आप लोग आराम कर लीजिए।रात बहुत हो गई है। दोनों आराम करने के लिए चले जाते हैं।पर जीत को सारी रात नींद नहीं आती है।उसे डर लगा रहता है।कि वो उसे मार ना दें।जैसे-जैसे रात निकल जाती है।
अगले दिन सुबह होते ही वह पति पत्नी जाने के लिए तैयार हो जाते हैं। वो जीत को अपना फोन नंबर भी देकर जाते हैं। कहते हैं की अगर उसे कभी भी हमारी जरूरत हो तो वह कभी भी उस फोन नंबर पर कॉल कर सकता है।वह दोनों पति पत्नी को आम इंसान नहीं थे।बल्कि बहुत ही रईस घर से ताल्लुक रखते थे।उस दिन जीत को लगा कि शायद वह कुछ ज्यादा ही सोचने लगा था। फिर दोनों पति-पत्नी जीत का बहुत धन्यवाद करते हैं। उसने उन्हें रात को अपने घर में पनाह दी।अब दोनों पति पत्नी उससे अलविदा लेकर अपने घर को निकल पड़ते हैं।
फिर जीत मन ही मन सोचने लगता है।हर इंसान बुरा नहीं होता है।बस हालात कुछ ऐसे होते हैं।कि इंसान को कुछ भी सोचने में मजबूर कर देते हैं।इसमें उसकी भी गलती नहीं थी।वह उन लोगों के बारे में ऐसा सोच रहा था क्योंकि ऐसी हालत में अगर कोई घर में आए तो डरना लाजिमी ही है। उसे खुशी होती है कि उसने किसी मुसीबत में पड़े इंसान के मदद की थी।