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" अल्हड़ उम्र "
" यह एक अल्हड़ लड़की की कहानी है "

एक सांवली सी नीता जो चंचल बिल्कुल भी नहीं है लेकिन वह घर की जिम्मेदारियों को बखूबी निभाती है।
वह अपने घर में बड़ी है और उसे से छोटा एक भाई और एक बहन है।

नीता के पिता अशोक शहर में शासकीय कार्यालय में कार्यरत हैं और माँ गृहणी है।
नीता के पिता ने गांव में एक छोटी सी जमीन खरीदा है जिसमें एक मिट्टी का घर और सामने ही खाली जमीन जिसे खेत कहते हैं।

शहर से हट कर गांव की अलग सी जिन्दगी है। शहर में घर पर सभी सुविधाएं उपलब्ध है।
यहां तो सब कुछ घर के बाहर है।
पानी दूर कुएं से लाना होता है।
स्नान करने एवं कपड़े धोने के लिए दूर तालाब में जाते हैं। शौच के लिए भी बाहर जाना होता है।
कितनी विचित्र है सब कुछ इस गांव में।

शहर में " इंग्लिश मीडिया स्कूल "
में जाते थे और यहां " हिंदी मीडियम पाठशाला में" जाना है।

नीता पांचवीं कक्षा की छात्रा है।
सभी विषयों की हिंदी में पढ़ाई करना किसी चुनौती से कम नहीं है।
हिंदी का विषय सरल और बाकी गणित और विज्ञान पल्ले ही नहीं पड़ते हैं।
नीता पूरा ध्यान लगा कर पाठ समझने की कोशिश कर रही है।
मास्टर जी पाठ पढ़ाने के बाद जब सवाल करते हैं तो जवाब देना अत्यंत कठिन है। इसकी सजा दोनों हथेलियों की संटी से पीट कर लाल कर दिया जाता है। इतना ही नहीं बल्कि कक्षा के छात्रों द्वारा पीठ पर कस कर मुक्के मारे जाते हैं।
नीता शर्मसार हुआ करती है और दुखी भी लेकिन उसकी परेशानी समझने वाला कोई भी नहीं है।

परीक्षा में कुछ विषयों में इज्ज़त बचने वाले अंक आए और बाकी सभी विषयों में गोल-मटोल अंडे मिले हैं।
अब घर जाकर वहां भी जमकर पिटाई होने वाली है लेकिन कोई समझने की कोशिश नहीं करेगा कि इसकी वजह क्या है और क्यों..?

नीता की परेशानी समझने वाला कोई भी नहीं है , न घर पर और न ही पाठशाला में।
बहुत बुरी मनोदशा से गुजर रही है बेचारी नीता।

नीता चित्रकारी अच्छा कर लेती है और मास्टर द्वारा दिया गया गृहकार्य भी रोज कर के पहुंचती है।
कक्षा में पढ़ने वाले छात्रों को यह बात पता है इसलिए वे नीता के नोट से ही अपना काम करने लगे।
आज कोई नीता से काॅपी मागता तो कल कोई और।

कक्षा में नीता अकेली रह जाती कोई उससे दोस्ती नहीं रखता है और नीता इस बात का बुरा नहीं मानती।

धीरे-धीरे समय का पहिया घूम रहा था इधर नीता की मांँ बिंदु बीमार रहने लगी । गांव में दूर-दूर तक कोई भी चिकित्सक नहीं है , जिससे इलाज करवा सकें। ऐसे में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ती जा रही थी।

शहर में नीता के पिता अकेले जीवन यापन कर के ऊब गए थे।
जब बार-बार बिंदु बीमार रहने लगी तो नीता के पिता ने अपने परिवार को वापस बुलाने का निर्णय लिया और छः महीने के बाद ही नीता को पढ़ाई बीच में छोड़ना पड़ा।

यह खबर सुनकर नीता खुशी से फूले न समाई। वह बहुत बड़ी चुनौती और परेशानियों से छुटकारा पाने वाली है। ऐसे में उसकी मांँ ने घर का सामान बांधना शुरू किया।

अब नीता के किताबें और काॅपियां बांधने के लिए जब उठाया तो एक कापी के अंदर से एक तय किया हुआ कागज जमीन पर गिरा और मांँ ने झपट कर उठाया।

मांँ ने नीता की तरफ नज़रे उठा कर देखते हुए चेहरे पर प्रश्न चिन्ह लिए कागज के तय को खोल कर पढ़ने लगीं।
नीता भी विस्मित हुई कि यह क्या है जो मेरे कापी के भीतर रखा था ?
उधर मांँ बहुत गौर से पढ़ कर नीता की तरफ दौड़ी और वजह बताए बिना उसे खूब पीटने लगी। बहुत बुरे शब्दों का प्रयोग कर नीता को पीट रही थी।

नीता बोलती रह गई कि वह इस बारे में कुछ नहीं जानती कि यह क्या है ? मुझे नहीं मालूम कि किस ने मेरी काॅपी में रखा है ?

अल्हड़ सी नीता अपनी बेगुनाही का सबूत नहीं दे पाई।
उसकी माँ ने उस कागज को अपने पास रख लिया और जो नहीं वो कह रहीं थीं।
नीता ने इतना सुना माँ के मुख से कि कोई " प्यार " व्यार लिखा है !
नीता स्तब्ध रुआँसी आँखों से सोचने लगी कि उसकी काॅपियां तो बहुत से छात्रों ने ली थी अब किसने क्या रखा इसकी भनक कतई नहीं थी ?
बेक़सूर होते हुए भी उस पर घिनौना इल्ज़ाम आज माँ ने उस पर लगाया है ।

नीता ने दिमाग पर जोर देते हुए याद करने की कोशिश की, कि आख़िरी बार किस ने उससे काॅपी मांगी थी तो याद आया कि दो लड़कों ने लिया था नोट्स लिखने के लिए।

नीता कभी भी काॅपी लौटाए जाने के बाद उसके पन्नों को अलट पलट कर नहीं देखती थी।

उन दोनों लड़कों में से एक लड़के का नाम जेम्स था जो हमेशा मुझे घूरता रहता था। अब समझ आया कि यह हरकत किसने की होगी !

सच्चाई यह है कि नीता को आज तक उस कागज के पन्ने पर उसके लिए सामने वाले ने क्या लिखा था इसके विषय में कुछ नहीं मालूम..
हालांकि वह आख़िरी रात थी उस गांव में। दूसरे दिन अपने शहर जाने के लिए रेलगाड़ी में बैठने वाले हैं। इस तरह वे सब शहर लौट आए।

रास्ते भर नीता बेचैन रही खुद से सवाल करती रही कि माँ क्या कह रही थी ?
" प्यार " जैसे शब्द उसने अपनी माँ के जरिए ही सुना था जिसका
अर्थ भी नहीं जानती थी वो और ऐसे गुनाह की सजा दी गई नीता को जिसे वह अपने यादों से कभी मिटा नहीं पाई।

🥀 teres@lways 🥀