...

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love in लाइब्रेरी

यूँ शाम का समय था, हवाएं भी मनचली हो गयी थी, अनुज और मै (अविका ), हम साथ साथ एक दूसरे को हांथो मैं हाथ लेकर टहल रहे थे, मै सोच रही थी, काश !ये पल बार बार आए, हम -दोनों साथ साथ एक दूसरे के.... (इंजीनियरिंग के आखिरी दिनों मे )

माँ, आज मुझे जल्दी टिफिन दे दो, मुझे कॉलेज जल्दी निकलना है|
माँ..... माँ, आई, ये प्रसाद ले भगवान् का, आज बहुत ख़ुशी का दिन है, क्यों माँ, आज क्या है
अरे, जल्दी आ जाना बस कॉलेज से, और प्यारे प्यारे स्टूडेंटस को बाय बोल कर...

हाँ, ये टिफ़िन ले, चल मै भी जल्दी से अपना काम ख़त्म कर लू

मै कारीडोर मै आई, और स्कूटी निकलने, आखिर आज क्या है, सोचने लगी....
खैर... जो भी हो, चल "मेरी गड्डी मेरे सफर पर "
कॉलेज पहुँचते ही, हैल्लो मैंम! हेलो.... गुडमॉर्निंग

मैंने तो अपना परिचय देना ही भूल गयी, मै यानि "अविका मिश्रा," प्रोफेसर हूँ और इंजीनियरिंग के स्टूडेंट को पढ़ाती हूँ, और मेरा दोस्त अनुज, हम साथ साथ ही इंजीनियरिंग कॉलेज से पढ़ाई ख़त्म कर, एक ही कालेज मै प्रोफेसर है, इसे किस्मत कहे या ईश्वर का संकेत....

हेलो स्टूडेंट्स, आप सब कैसे हो,
चलिए चलते है हम लोग... वापस अपने टेक्नोलॉजी की और......
मै अपनी वॉच देखती हूँ, अभी समय है, घर जाने को... तब तक मै अनुज से मिल लेती हूँ...
ऐसा सोचकर मै क्लास से निकली, और रुक कर आप लोग से मै विदा लेती हूँ, all my स्वीट stydents, सी ऑफ tomarrow
मै सीढ़िया चढ़ती जाती हूँ, अनुज.....Mr.anuj....



अनुज........ Mr. अनुज...यस. जी बताये, आप का यहाँ कैसा आना हुया, बस ऐसे ही, आओ ना जल्दी क्लास ख़त्म कर, मै बाहर गैलरी मै वेट कर रही
ओके !आपकी सेवा मै बंदा हाजिर होता है, आप प्रतिछा करें..
शुद्ध हिंदी, कहकर मै मुस्कराती हूँ, तभी मेरी एक स्टूडेंट मिलती है, good नून मैम,, good...