...

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टूट गए ख़्वाब सारे..........
झरझर गिरते आँखों से आबशार है,
आज़माइशें ख़त्म होने का इंतज़ार है.....

हर शामें मेरी अब उदास रहने लगी है ऐसा लगता है जैसे मैं कोई ख़्वाब देख रही हूँ मुझे लगता ही नहीं ये मैं हूँ जो किसी के लिए इस कदर तड़प सकती हूँ रो सकती हूँ ,
मुझे कभी भी मोहब्बत ओहब्बत पर यक़ीन नहीं रहा है मुझे हमेशा लगता था ये सब फ़क़त दिमाग़ का ख़लल है और कुछ नहीं, लेकिन अब मैं खुद इस एहसास को जी रही तो मुझे लग रहा इससे ज़्यादा न कुछ खूबसूरत है ना इससे ज़्यादा तकलीफ़देह, मुझे मेरी साँस अटकती महसूस होती दिल में ऐसा दर्द होता जो बरदाश्त से बाहिर होता,
इस मोहब्बत का एहसास भी मुझे उसे खोने के बाद हुआ जब वो मेरे पास था मुझे महसूस ही नहीं हुआ कि वो मेरे लिए मेरी ज़िन्दगी बन गया है, अब जबकि उससे मेरा हर ताल्लुक़ टूट गया है मैं उसके लिए तड़प रही हूँ रो रही हूँ लोगों को इल्ज़ाम दे रही और खुद को भी क्योंकि उसके रहते मैंने कभी उसे तस्लीम नहीं किया था हमेशा रोती रहती थी कि अम्मी पापा ने मुझे बुड्ढे से रिश्ता कर दिया मेरा क्योंकि वो एज में काफी बड़ा था मुझसे मुझे वो बिल्कुल भी पसंद नहीं था लेकिन पापा के आगे मैं कुछ बोल पायी सोचा पापा मेरे लिए कभी ग़लत फ़ैसला नहीं करेंगे लेकिन उन्होंने लोगों की बातों में आकर बेजोड़ रिश्ता कर दिया,
ख़ैर.... रिश्ता तय होने के बाद वो मुझसे बात करना चाहता था मैंनें मना कर दिया लेकिन फिर सबने बोला बात कर लो अब साथ रहना है तो थोड़ी जान पहचान हो जाएगी,
मैंने भी सोचा सही ही होगा सो मैं उससे बातें करने लगी शुरूआत में उसकी बातें मुझे अच्छी नहीं लगती थी फिर धीरे-धीरे उसकी बातों में खोने लगी मुझे उसकी आदत सी होने लगी उसके मैसिजस काॅल का इंतज़ार करने लगी थी मुझे कब उसकी मोहब्बत ने अपने हिसार में ले लिया मुझे ख़बर ना हो सकी,
फिर पता नहीं क्यों उसके घर वाले शादी टालने लगे मेरे माँ बाप बहुत परेशान रहते और जब ज़्यादा टलने लगा तो मेरे घर वालों ने मुझे उससे बात करने से मना कर दिया मैं क्या कहती मैंने बात बंद कर दी, और उसके घर वाले और अकड़ गए उनको और मौका मिल गया फिर ऐसे हालात हो गए कि मेरा रिश्ता तोड़ दिया गया मुझसे एक दफ़ा पूछे बिना और उसने भी कोई कोशिश नहीं की हमारे रिश्ते को बचाने की पता नहीं उसे मुझसे मोहब्बत थी भी या नहीं ,
पहले मेरी दुनिया मेरे घर वाले थे लेकिन अब सब बेग़ाने लगते हैं ख़ुदग़र्ज़ लगते हैं मेरा दिल करता है मैं मर जाऊँ......
अब फिर से मेरे लिए रिश्ते देखे जा रहे लेकिन क्या अब मुझसे ये रिश्ते निभ पाएंगे?
क्या अब फिर कभी मेरे दिल की कलियाँ खिल पाएंगी?
मेरे दिल के सिंहासन पर वो आज भी विराजमान है क्या वही जगह किसी और को दे पाऊँगी?
ऐसे कई सवाल हैं जिनके जवाब शायद सिर्फ वक़्त के पास है.............
© aashhamd