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एक शैतानी रात....
कभी कभी कुछ घटनाएं संयोग होती हैं....
हर रात की तरह उस रात भी रवि के घर वैवाहिक कलैश चल रहे थे। अपनी शादी से नाखुश रवि अपनी बीवी के ताने सुन सुन के थक चुका था। वो रोज़ रोज़ उनही लड़ाईयों में नहीं उलझना चाहता था इसलिए उसने अलग होने का फैसला किया। 11 सितंबर की रात को लगभग 11:45 बजे वो घर छोड़ के निकल गया ।उसके घर में उसकी बीवी और उसका भाई रह गया था। किसी ने उसे जाने से नहीं रोका तो उसने भी वहाँ रूकना जरूरी नहीं समझा। साधारण कपड़ों में रवि कंधे पर काला बस्ता टांगे हुए चलता रहा। रवि एक साधारण सा टीचर था इसलिए उसे ज्यादा लोग भी नहीं जानते थे। उसके मां-बाप दूर किसी गांव में रहते थे। रवि चलते चलते अपने घर से बहुत दूर जा बैठा था । दूर-दूर तक कोई ऑटो, कोई गाड़ी कोई वाहन नहीं मिला दूर एक चाय की दुकान पर जा बैठा। वह काफी थक चुका था। वहां जाकर उसने चाय वाले भैया से पूछा- भैया यहां से रायपुर के लिए बस कब मिलेगी।
चाय वाले भैया ने हसते से बोला- अरे भैया!! कहां से आए हो ?यहां के नहीं हो का?? यहां पर रात में बस नहीं चलती ना कोई और वाहन चलता है 10:00 बजे के बाद सब बंद रहता है। वह तो आज मैं लेट हो गया नहीं तो मैं जल्दी ही निकल जाता हूं ।
यह कहकर वह अपनी दुकान बंद करने लगा। रवि बहुत चिंता में आ गया कि अब वह कहां जाए ?
उसने दोबारा पूछा भैया- यहां कोई होटल मिलेगा क्या रहने के लिए ।
चाय वाले ने रवि की तरफ देखा और कहने लगा- चलो आज आप मेरे घर पर रह लेना । आपको कोई परेशानी नहीं होगी...