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वो आंचल
आंचल ! किसका आंचल? शब्द सुनकर ही दिमाग में मां का नाम ही आता है क्यूं आता है क्युकी ये शब्द केवल शब्द मात्र नहीं है ये वो अथाह सागर है जिसमें सब कोई डूबना चाहता है जिसकी कोई सीमा ही नहीं।
स्नेह , ममता , प्रेम, मधुरता, भाव, से घुला हुआ ये अथाह प्रेम का सागर ही तो आंचल है।
फिर भी हम उस आंचल से तब तक ही बधें होते है जब तक हम बच्चे होते है जब तक हमारी मासूमियत की एक झलक
दिखाई देती है।

जैसे ही बड़े...