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निंदक नियरे/नेड़े राखिए...!
तांका झांकी, चुगलीबाज़ी और परनिंदा के तालाब में हम सब सर से पांव तक आकंठ डूबे हैं। डूबे ही नहीं अपितु चेहरे पर एक अत्यंत कुटिल स्माईल लिए तैर रहे हैं मानो पी.के फिल्म के ढोंगी बाबा अवतरित हो गए हों!
कमाल की आदत है यह भी!
चुगली और परनिंदा से रूह को एक अलग- सा जो सुकूनो-चैन मिलता है वो शब्दों में ब्यान नहीं किया जा सकता!
किसी अनजान विटामिन सा असर आता है जो संभवतः वैज्ञानिकों की तुच्छ बुद्धि भी देख नहीं पाती है।😁😇

कर्मों के हिसाब से अगला जन्म मिलेगा अथवा स्वर्ग या नर्क जाना पडेगा— युगों-युगों से ऐसे किस्से- कहानियां सुना-समझा कर ऋषि मुनि स्वयं स्वर्ग सिधार गए किंतु हम लोग न सुधरे। आखिर हमारी कम्बख़्त ज़बान ठहरी बिना हड्डी की! फ्लैक्सीबल इतनी की गुलेल बन जाए! जहां मर्ज़ी हो, कंचा-कंकर दाग दो। क्या मजाल कि एक भी निशाना चूक जाए!
😅🤣

सुबह के ग्यारह बजे नहीं कि मोहल्ले के तमाम ज्ञानवान आत्माएं धूप सेंकने को इकट्ठा हो जाती हैं। धूप तो इक बहाना है, मकसद तो जी बहलाना है। फलां लड़का लड़की में नैन-मटक्का चल रहा है; फलां की लड़की फलां के साथ भाग गई; फलां की बहू ख़राब है तो फलां की सास; फलां को पैसे का घमंड है तो फलां को अपने रूप का!😂🤗🧏

"जहां मिले दो सर, जुंओं को मिले नया घर"— ज़माना पहले एक इश्तहार में सुना था। दफ्तरों में भी अक्सर सिर जोड़कर लोग चटखारे लगा लगाकर बतियाते नज़र आ जाएंगे। बाॅ‍‍‌स ऐसा है, वैसा है; देखो शर्मा जी को तो कपड़े पहनने की तमीज़ नहीं; हीरा लाल जी तो बाॅस के तलवे चाटते रहते है!जुंओं के भी मज़े लगे हैं। एक सर से दूसरे सर पर आराम से भ्रमण हो जाता है और भांति-भांति के ग्रुप्स के स्वादिष्ट ख़ून भी पीने को मिल जाते हैं!🙆🤭😛

शायद हम लोगों के कारण ही कबीरदास जी को यह दोहा कहना पड़ा— “निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय, बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय”, अर्थात: जो हमारी निंदा करता है, उसे अपने अधिक से अधिक पास ही रखना चाहिए क्योंकि वह बिना साबुन और पानी के हमारी कमियां बताकर हमारे स्वभाव को साफ कर देता है।🤓🤓

हम तो फूले नहीं समा रहे कि हमारी नैचुरल क्वालिटीज़ के बारे में कबीरदास जी को छह सौ साल पहले भी पूरा भरोसा था और हम आज भी उनकी उम्मीदों पर खरे उतर रहे हैं! 😂🤗

तमाम निंदा चुगली करने के बाद हमारा यह कहना कि दुनिया से हमें क्या लेना, हम तो किसी की बात तक नहीं करते— सुनकर विदेशियों को भी लगता है मानो राजा हरिश्चन्द्र की औलादें अभी तक ज़िंदा हैं और कुछ दिन और ज़िंदा रह गईं तो भारतवर्ष में राम राज्य का स्थापित हो जाएगा!
स्वर्ग धरा पर ही उतर आएगा।बिन साबुन और पानी के ऐसे स्नान कराया जाएगा कि चमड़ी उधड़ जाएगी! मगर हमें क्या? हम तो किसी की कभी बुराई नहीं करते! 🙊🙈🙉
🤓😂

—Vijay Kumar
© Truly Chambyal