एक ख़त तेरे नाम
तुम जब भी ये कहती हो कि नहीं चाहती तुम मेरे जैसे बनना
मुझे बिल्कुल बुरा नहीं लगता
यक़ीन मानो मैं रोमांचित हो जाती हूँ
मैं चाहती हूँ अपनी उड़ान ख़ुद से तय करो
तुम जब किसी सही बात पर डटी रहती हो...
मुझे बिल्कुल बुरा नहीं लगता
यक़ीन मानो मैं रोमांचित हो जाती हूँ
मैं चाहती हूँ अपनी उड़ान ख़ुद से तय करो
तुम जब किसी सही बात पर डटी रहती हो...