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#प्रेमलग्न
वासंती हवा का दौर लगभग थम चुका है, बल्कि मई महिने की लू की लहरों के बीच मौसम ने अपना मिजाज़ ही बदल लिया है। कहींक - कहींक बारीश की फूहार तो कहींक बूंदाबांदी, तो कहींक मुसलाधार.... रूख अख्तियार किया है। लगता है, प्रकृति भी शायद मानव को उसके प्राप्त ज्ञान को निरर्थक साबित करने पर उतारू है !
शादीयों का दोर चल रहा है। बैण्ड बाजे और बारातों का शोर मचा हुआ है । पुरा समाज जैसे सुखों और खुशियों के प्रवाह में सराबोर हैं ।
किसी किसी कोनों में कसक बनकर कई दिलों के अरमान और प्यार दफन हुए जा रहे हैं। कईयों ने स्थितियों से समझौता कर लिया है ; कईयों ने...