...

5 views

#प्रेमलग्न
वासंती हवा का दौर लगभग थम चुका है, बल्कि मई महिने की लू की लहरों के बीच मौसम ने अपना मिजाज़ ही बदल लिया है। कहींक - कहींक बारीश की फूहार तो कहींक बूंदाबांदी, तो कहींक मुसलाधार.... रूख अख्तियार किया है। लगता है, प्रकृति भी शायद मानव को उसके प्राप्त ज्ञान को निरर्थक साबित करने पर उतारू है !
शादीयों का दोर चल रहा है। बैण्ड बाजे और बारातों का शोर मचा हुआ है । पुरा समाज जैसे सुखों और खुशियों के प्रवाह में सराबोर हैं ।
किसी किसी कोनों में कसक बनकर कई दिलों के अरमान और प्यार दफन हुए जा रहे हैं। कईयों ने स्थितियों से समझौता कर लिया है ; कईयों ने धोखा कर 'या' खा लिया है....! तो कईयों ने अपने माता पिता की इज्जत को अपने, जीवन की डगर' बना लिया है। ऐसा नहीं कि सब कुछ सही और शांत है। कहींक धूंआ भी उठ रहा है ! कहीं अश्रृजल की भांप दिखाई दे रही है !! तो कहीं कहीं खुलेआम विद्रोह भी पनप रहा है !! फिलहाल खुश खुशाल माहौल देखते ही बनता है।
ऐसे ही कई परिवार में आज माहौल बड़ा ही दर्दनाक बना हूआ है। नये जमाने के बच्चे न समाज जानते हैं, न ईज्जत.. और ना ही परिवार की मर्यादा..!! उनको तो अपने परिवार के प्रेम, अपनेपन, मर्यादा, संघर्ष, प्रतिष्ठा और मान सम्मान का खयाल ही नहीं होता !! उनके मन में तो एकाद - दो शब्द ही मंडराते रहते है.. प्यार।.. आजादी.. और.. सफलता की जिद्द..!! बस ! इसमें ही उन्हें अपना साहस, प्रेम की सच्चाई और जीवन की सार्थकता दिखाई पडती है !!
अफसोस तो इस बात का है, कि 'बागी' बनकर शादी करने वालों को सरकारी कानून भी मान्यता दे देता है !! इस सीलसीले में कम उम्रके बच्चों पर इसका निगेटिव प्रभाव पडना भी लाजिमी है। पढने लिखने की उम्र में ऐसे विद्रोही, भागेडू और सामाजिक मर्यादाओं का भंग करके कोर्ट मैरिज करने वाले इनके लिये "आदर्श" बन जाते हैं।
सबसे बडी समस्या तब होती है... जब कम उम्र के लडके- लडकियां 'विजातिय आकर्षण' को 'प्रेम' मानकर भटक जाते हैं ! खासकर शिक्षा और समाज के सामने यह सबसे विकराल समस्या और चुनौती बन जाती है । इसे न तो स्विकार किया जा सकता है और ना ही सजा ही दी जा सकती है।
भारतीय सभ्यता में सोलह संस्कार का बड़ा ही मूल्य माना गया है लेकिन सच्चाई तो यह है कि आज कल का सामाजिक माहौल देखने के बाद लगता है कि जीवन में बाकी सभी ठीक है.. मगर 'लग्न संस्कार' तो धामधूम से मनाया जाना चाहिए ?! जीवनभर की कमाई को दांव पर लगाकर इतना ज्यादा खर्च कीये जाते हैं, कि कई परिवार बर्बाद भी हो जाते हैं। यह धामधूम नयी पीढी को जाने अनजाने यह संदेश भी देता है, कि " जीवन में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण संस्कार कोई है तो वह.. शादी..!?!"

© Bharat Tadvi