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अंकल, चाचा जैसे नही

अधिकांश चाचा लोगों का, घर में तो नही, लेकिन, घर के बाहर एक वजूद होता है। लड़ाई झगड़े में स्थिति जब अपने से बेकाबू हो जाती है तब वे मामले में 'एंट्री' करते हैं। वे 'बहुत कुछ करके छोड़ चुके' होते हैं। वे गलियों और चौराहों के मामलों के 'भूतपूर्व एक्सपर्ट ' होते हैं। स्कूल के बुलावे पर फर्जी गार्जियन के रूप में वही जाते हैं।

बड़े लड़कों से होने वाली लड़ाइयों में चाचा के आते ही बड़े लड़के गायब हो जाते हैं। चाचा अक्सर अराजक से होते हैं। पढ़ाई में पिछड़ गए होते हैं ।

हम लोगों के बचपने में पढ़ाई छोड़ कर घूमने वाले और घर के लिए समस्या बने लोग मुहल्ले के 'आदर्श चाचा' होते थे और पूरी शिद्दत से सभी के लिए चाचा धर्म निभाते भी थे। सड़को और चौराहों पर किसी भी प्रकार की अनहोनी के लिए वे गारंटी होते थे। वे मोहल्ले के लड़कों को...