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एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त एक वैशया और अन्य।।
यह एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त एक वैशया और एक अन्य की पचलित गाथा है जो कि अनन्त कहीं गाई है क्योंकि यह हर आदमी एक गृहक तथा दूसरी स्त्री उसके के अपनी भोग मिटाने का साधन है क्योंकि यदि श्रृष्टि के चक्कर लगाए तो शायद यह बहुत कम ही लोग जानते हैं लड़कियां पैसा चाहती तथा आदमी जिस्म की बू पाना चाहते हैं तो देखा तो प्रेम तो यहां दूर दूर तक नहीं है, सिर्फ लड़की की आवश्यकता पैसा है तथा ग्राहक की जरूरत जिस्म की रूमाइस में खुले आम लड़की को इस्तेमाल करना सिर्फ संतुष्ट होने के लिए मगर क्या लड़की का एक वैशया बनना जायज है क्या वाकई सम्पूर्ण तरह से समर्पण है या फिर सिर्फ एक श्रृष्टि का सबसे सौदा है।। और कौन पूर्ण तरह से समर्पण में है तथा कौन एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में का सिर्फ जिस्मानी गृहक है और कौन सिर्फ एक मजबूरी बनकर तैयार हो जाती है एक सबसे स्वच्छ और सबसे स्वाभिमानी कौन होती हैं।। कौन सही है तथा कौन गलत है।। कौन पवित्र तथा सुध है।।

कहने को तो यह गाथा में वैशया और गृहक इस युग में हर योनि में वास करते हैं मगर क्या आप सब मनु द्वारा रोगिन की योनि में गृहक द्वारा स्थापित किए सतभो को जानते हैं।। कहने को यह गाथा काभी समाप्त नहीं हो सकती है, मगर यह गाथा एक सुध वैशया और एक करमपद गृहक ही पूर्णतः सहमत के साथ समाप्त कर सकते हैं, मगर क्या काभी कालचक्र ये होने देगा? इसके लिए हम आपको बता दें कि अल्पा जोडयनति सफलामि सा यह क्रियातामि।। योनि बारम बारम एकानि लालसा भवति सा किम् क्रियाइते सा रूहम् प्राप्त सा आसतिवाह।।?
#अभियाष
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