हमारा(मानव) वास्तविक परिचय
बात बुरी लग सकती है, या कुछ लोगों के समझ के परे जा सकती है कि वास्तव में हम खुद को जितना जानते है वही हमारी अनभिज्ञता है।
क्या सच में हम इंसान मात्र है.. या फिर हम इंसान के रूप में या इंसान बनने के लिए पैदा हुए हैं?
या फिर हमें इंसान बनाया गया है।
"जितनी ट्रेनिंग जिंदगी को समझने और परखने के लिए इंसानी बच्चों को दी जाती है.. उतनी ही ट्रेनिंग यदि किसी बंदर के बच्चे को दी जाए तो जुबान के अलावा वो क्या किसी कार्य में इंसान से पीछे रहेगा।"
शायद ही पीछे रहे...
क्योंकि उनके करतब को मदारी के साथ या सेना में सैनिक के रूप में देखा जा सकता है।
अर्थात इंसान हमें बनाया गया लेकिन हम पैदा हुए थे एक जीव मात्र के रूप में। हम महज एक जीव थे है और रहेगें। बस अधिक ट्रेनिंग ने हम से हमारा वास्तविक परिचय छीन लिया है।
सवाल उठता है कि हम यदि जीव हैं तो क्यूं है?
इस देह की वजह से या कोई ऐसा भी वजूद है जो इस देह...
क्या सच में हम इंसान मात्र है.. या फिर हम इंसान के रूप में या इंसान बनने के लिए पैदा हुए हैं?
या फिर हमें इंसान बनाया गया है।
"जितनी ट्रेनिंग जिंदगी को समझने और परखने के लिए इंसानी बच्चों को दी जाती है.. उतनी ही ट्रेनिंग यदि किसी बंदर के बच्चे को दी जाए तो जुबान के अलावा वो क्या किसी कार्य में इंसान से पीछे रहेगा।"
शायद ही पीछे रहे...
क्योंकि उनके करतब को मदारी के साथ या सेना में सैनिक के रूप में देखा जा सकता है।
अर्थात इंसान हमें बनाया गया लेकिन हम पैदा हुए थे एक जीव मात्र के रूप में। हम महज एक जीव थे है और रहेगें। बस अधिक ट्रेनिंग ने हम से हमारा वास्तविक परिचय छीन लिया है।
सवाल उठता है कि हम यदि जीव हैं तो क्यूं है?
इस देह की वजह से या कोई ऐसा भी वजूद है जो इस देह...