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गुड़िया (भाग 9 )
डिटेक्टिव अबीर: क्या? एक वैश्या की बहन? कैसे ?
इंस्पेक्टर विजय: सना 10 साल की थी तभी उसकी माँ का देहांत हो गया, उसके पिता एक शराबी थे और पैसों की लालच में उन्होंने सना और उसकी छोटी बहन को रंगमहल में बेच दिया। सना ने अपनी बहन को लेकर रंगमहल से कई बार भागने की कोशिश की.... पर हर बार पकड़ी गई, आखिर में हर मानकर उसने वहीं रहने का फैसला किया, पर रंगमहल की बेगम से मिन्नते कर अपनी 5 साल की बहन गुड़िया को अनाथ आश्रम में डाल दिया।
सना अपनी बहन से बहुत प्यार करती थी, जब उसकी बहन की मौत हुई तो वह पूरी तरह से टूट गई। और रंगमहल में गुड़िया बेचना भी उसने अपनी बहन की मौत के बाद ही शुरू किया।
डिटेक्टिव अबीर : सना का हत्याओं से कोई लिंक?
इंस्पेक्टर विजय : रंगमहल में बिक रही गुड़िया के अलावा कुछ नहीं।
डिटेक्टिव अबीर : और आपकी धर्मपत्नी ?
इंस्पेक्टर विजय: काव्या उस वक्त एक इंस्टीट्यूट में हैकिंग कोर्स सीखने के लिए एंट्रेंस एग्जाम देने गई थी, उसे एडमिशन तो मिल गया पर उसके पिता ने उसको खोने के डर से उसकी पढाई छुड़वा दी और एक साल बाद उसकी मुझसे शादी हो गई।
डिटेक्टिव अबीर : मतलब इतना कुछ जानने के बाद... ये भी कि हत्याएं क्यों हो रहीं हैं.... ये नहीं पता चला कि हत्याएं कर कौन रहा है?
इंस्पेक्टर विजय : जी सर, और मामला सुलझने की जगह और पेचीदा होते जा रहा है...
डिटेक्टिव अबीर : कल तीसरा दिन है, हो रही हत्याओं के पैटर्न के हिसाब से गौतम का अपहरण कल होगा, गौतम की सुरक्षा और बड़वा दो, वो एक मिनट के लिए भी पुलिस की नजरों से ओझल नहीं होना चाहिए...
इंस्पेक्टर विजय : जी सर।
डिटेक्टिव अबीर : और चांदनी, अनाथ आश्रम, रंगमहल, सना, काव्या और तीनों लड़कियों से रिलेटेड जो भी लोग हैं सबपर कड़ी निगरानी रखो, मुझे सबकी हर पल की खबर चाहिए...
इंस्पेक्टर विजय : ओके सर।

शाम को चार बजे, एक लड़की चेहरे को दुपट्टा से बांधकर सब्जी मंडी में सब्जी खरीद रही है, सब्जी खरीदकर वह सब्जी मंडी से कुछ दूर बने सार्वजनिक शौचालय में जाती है और फिर वहां से अपने घर के लिए निकल जाती है।
इधर काव्या तैयार होकर अपनी दोस्त नेहा की बर्थडे पार्टी पर उसके घर चली जाती है और काव्या के घर के बाहर नॉर्मल कपड़ों में खड़े चार पुलिस में से दो काव्या के पीछे निकल जाते हैं।
रंगमहल में सना... बेगम के कमरे में जाती है और उनसे कहती है "मुझे बाहर जाना है पर रंगमहल के चारो ओर पुलिस तैनात है"
बेगम उसे कुछ कपड़े देती है और उसे तैयार होने के लिए बोलती है। सना कुछ देर में तैयार होकर आती है, तैयार होने के बाद वह बिलकुल पहचान में नहीं आ रही होती है क्योंकि उसने एक नवाब कीे भेषभूशा धारण कर रखी थी, चेहरे पर मुछे और बड़ी बडी़ दाडी़। बेगम उसे अपने साथ बाहर लेकर जाती है और गेट पर खडी़ गाडी़ में बिठा देती है।
एक घंटे बाद सना उसी जगह पहुँचती है जहां वह पिछली बार गई थी, वो जगह बिल्कुल सुनसान थी, और घर इतना पुराना और खँडहर जैसे वहां कोई बरसो से ना गया हो। सना जब उस घर के बेसमेंट में जाती है तो एक आवाज़ आती है... "बहुत जल्दी आ गई"।



(जानने के लिए हमारे साथ बने रहें कि सना के अलावा उस घर में और कौन है? और क्या इतनी कड़ी निगरानी के बाद भी गौतम का अपहरण हो पाएगा?)


#गुड़िया
© Sankranti chauhan