...

5 views

मोहब्बतें या भ्रम जाल (भाग 8)




मुकेश के ऑपरेशन के समय (भूतकाल में)





अस्पताल में जिस दिन मुकेश की चोट लगी थी। उस दिन मुकेश को धीरे-धीरे होश आ रहा था, मुकेश के पापा को डॉक्टर बता रहे थे, कि मुकेश की याददाश्त भी जा सकती है या वह कोमा में जा सकता है।यह सुनकर मुकेश के दिमाग में एक ख्याल आता है, कि अगर वह कुछ दिन के लिए याददाश्त खोने का नाटक करें तो शायद वह सब की माफी मिल सकती है नहीं तो इस तरह तो कोई उसे माफ नहीं करेगा,इसलिए वह झूठा याददाश्त खोने का नाटक कर रहा करने लगा,पर जब शिखा का व्यवहार उसके साथ वैसा ही रहा तो उसने लखनऊ जाने का फैसला किया ।लखनऊ में शिखा और मुकेश दोनों अकेले होते और वह शिखा से आराम से बात कर सकता था इस बात का अंदाजा तो उसे अब हुआ था कि शिखा को पहले ही दिन से उस पर शक था। मुकेश तो शिखा के साथ अकेले लखनऊ आकर ही इतना खुश था कि वह इस खुशी में यह बात तो भूल ही गया था कि वह याददाश्त खोने का नाटक कर रहा है। शिखा को तो पहले ही शक था और अब तो यकीन हो गया था।




वर्तमान समय में

शिखा गुस्से में मुकेश को घूर रही होती है ।मुकेश अपनी सोच से बाहर आता है।

शिखा- तुम बोलते क्यों नहीं मुकेश ।

मुकेश- शिखा मैं याददाश्त खोने का नाटक कर रहा था।

शिखा- क्यों ! क्यों कर रहे थे ?नाटक क्या जरूरत थी? तुम्हें नाटक करने की ।

मुकेश- मैं तुम सब से माफी मांगना चाहता था जो मुझे मिल नहीं रही थी,तो मुझे यही तरीका सबसे अच्छा लगा।

शिखा- इसका मतलब तुम एक धोखे को छुपाने के लिए दूसरा धोखे दे रहे थे।खैर मैं तुमसे बात ही क्यों करूं। मैं जा रही हूं अभी इसी वक्त ।


गुस्से में शिखा पलटकर जाने लगती है ।मुकेश भाग कर उसका हाथ पकड़ता है। शिखा अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करती है। मुकेश उसको खींच कर अपने बाहों में भर लेता है। शिखा जोर से चिल्लाते हुवे "छोड़ो मुझे मुकेश"

" नहीं अब तुम्हें कभी नहीं छोड़ना है" शिखा इतने गुस्से में होती है कि वह मुकेश के कंधे पर काट लेती है वह पीछे हटता है,तो शिखा अपना बैग उठा कर वापस जाना चाहती है।

मुकेश- तो ठीक है चली जाना पर यह टाइम नहीं है जाने का अभी रुक जाओ, रुक जाओ।

शिखा में सोचती है कि मुकेश सही कह रहा है इस समय तो वापस जाना ठीक नहीं है चुपचाप आकर बैठ जाती है। मुकेश चुपचाप मुस्कुराते हुए उसके पास आता है,और बोलता है।

मुकेश- शिखा😍 आज का सारा दिन सफर में निकल गया है। तुम थक गई होंगी कुछ खा पी कर लेट जाओ।

शिखा- 😠मैं तुम्हारे साथ नहीं रहूंगी।

मुकेश- 🥰अरे बाबा तो नहीं रखूंगा तुम्हें अपने साथ लेकिन अभी तो कुछ खा ले।

शिखा-। 😠मैं कहां जाऊंगी।

मुकेश- 💖ठीक है।वह सामने वाला कमरा हमारा है चलो ।

शिखा- मैंने कहा ना😤 मैं तुम्हारे साथ नहीं जाऊंगी कही भी और ना ही मुझे तुम्हारे साथ रहना है।

मुकेश- 🥰🥰🥰🥰अरे बाबा तुम उस कमरे में जाओ। मैं सामने वाले कमरे में रुक जाऊंगा।

शिखा अपना बैग लेकर सामने वाले कमरे में चली जाती है दरवाजा धाड़ से बंद करती है।
मुकेश नहाने के बाद जब कपड़े पहनने लगता है तो उसकी नजर अपने कंधे पर जाती है जहा शिखा के काटने का निशान है। वह उस निशान पर हाथ लगाता हुआ जोर से हंसता है।शिखा तुम सच में पागल हो,लेकिन मेरी पागल हो,फिर वह शिखा का फेवरेट पिज़्ज़ा ऑर्डर करता है।यह उसने शिखा के भैया से ही बता किया था कि उसे पिज़्ज़ा बहुत पसंद है।अब वह शिखा के कमरे के बाहर दरवाजा खटखटा आता है शिखा दरवाजा खोलो कुछ खा लो शिखा मना कर देती।"मुझे भूख नहीं है।" मुकेश बोलता है कि वह बाहर आए और कुछ खाए क्योंकि जब तक खाना नहीं खाएगी वह ऐसे ही दरवाजा खटखटा था रहेगा।


शिखा गुस्से में बाहर आती है और अपना पसंद का पिज़्ज़ा देख कर हैरान हो जाती है।वह उन्हीं हैरान नजरों से मुकेश की तरफ देखती है।जो उसे हल्के प्याजी रंग के सूट में देखकर फ्रीज हो गया है। शिखा घबराकर गिलास नीचे गिरती है,जिससे मुकेश का ध्यान टूट जाता है, तब वह उसे बोलता है।इतना हैरान होने की जरूरत नहीं है। तुम सुंदर जो इतनी लग रही हो मैं नजर नहीं हटा पाया शिखा वापस जाने लगती है तो मुकेश उसका हाथ पकड़ कर बोलता "अच्छा बाबा मैं चुप रहूंगा।पिज़्ज़ा खा लो।तुम कहो तो कॉफी या चाय बना दू।शिखा चाय बोल देती है। मुकेश चुपचाप किचन में जाकर चाय बनाने लगता है शिखा वहीं टेबल के पास बैठे बैठे मुकेश को देखती है,कि मुकेश कितने अच्छे तरीके से किचन में काम करता है। यह वही मुकेश जिसे उस की शादी हुई थी या यह कोई और है। उसने तो कभी सोचा भी नहीं था,कि मुकेश उसे इस तरह देखेगा,उसके लिए चाय बनाएगा उससे ऐसी बातें करेगा। मुकेश शिखा की अपने ऊपर जमीन नजर को महसूस कर लेता है,और शिखा की और गहरी नजरों से देखते हुए पूछता है क्या आज नजर लगाकर ही हटोगी। शिखा हड़बड़ा कर अपनी नजर हटा लेती और चुपचाप पिज्जा खाकर अपने रूम में सोने चली जाती है। मुकेश वहीं बैठे बैठे काफी देर तक शिखा को रोकने के बारे में सोचता रहता है मैं शिखा को वापस नहीं जाने दुगा पर उसने रोकना कैसे हैं।
© All Rights Reserved