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डाका
एक बार डाकूओं ने कवि सम्मेलन से लौटते कुछ कवियों का अपहरण कर लिया । कवि बेचारे गिड़गिड़ा कर दुहाई देने लगे कि कोई उनके लिए 100 रूपये की फिरौती भी नहीं देगा । डाकूओ के सरदार ने कहा, कोई बात नही, हम हमारी मेहनत बेकार नही जाने देंगे और हुक्म दिया कि कवि सम्मेलन का आनंद उन्हें भी दिया जाए. कवियों ने सहर्ष एक से एक बढ़िया कविता प्रस्तुत की । डाकूओं ने भरपूर आनंद उठाया और खुश हो कर सोने के आभूषण प्रदान कर उन्हें विदा किया । कवि बहुत खुशी खुशी घरों को चल पड़े । थोड़ी ही देर में डाकूओं का वही दल आया और उनको दिए गए आभूषण लूट लिए । कवियों को आश्चर्य में देख सरदार ने कहा कि आपको पुरस्कृत करना हमारा कर्तव्य था और आपको लूटना हमारा पेशा है।

चोरी की पोस्ट नहीं है,
पोस्ट डाका डालकर लाई गई है केवल *आप* के लिए।
साभार FB