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"प्रेम"
सुरभि और अमित कुछ दिन पहले ही नये मकान में शिफ्ट हुए थे। इससे पहले दोनों रेन्ट पर रहा करते थे अब दोनों ने अपना मकान बनवा लिया था। दोनों ने गृहप्रवेश के लिए रविवार का दिन चुना था ताकि सभी लोग आ सकें। सुरभि ने अपने पड़ोस में जाकर भी सबको आमन्त्रित किया था। शाम को सभी लोग आ गए थे। सुरभि मेहमानों और अपने औफिस के लोगों से बातचीत में व्यस्त थीं कि तभी उसकी नज़र उसके पास ही रहने वाली वंदना भाभी पर ठहर गईं उन्होंने ने भी सुरभि को अपनी ओर देखते हुए देख लिया था वो खुद ही सुरभि के पास चली आई और मुस्कुरा कर बोली घर तो आपका वाकई बहुत खूबसूरत बना है सुरभि ने भी आभार व्यक्त किया तभी उनका बेटा आ गया जो कि 25'26 वर्षीय रहा होगा। सुरभि वंदना भाभी को अवाक देखती रह गई,कंधों तक खुले बाल करीने से पहनीं हुई साड़ी और चेहरे पर गजब सा नूर,कहीं से भी वो इतने बड़े बेटे की माँ नहीं लग रही थी,बेटा बोला माँ रोहिन आया है मै जरा उससे मिलकर आता हूँ। फिर वंदना और सुरभि ने बहुत देर तक बातें की फिर वंदना ने सुरभि को एक बहुत सुन्दर सा तोहफा भेट दिया और सुरभि से विदा ली।
दूसरे दिन सुरभि अपनी बालकनी में बैठी हुई थी कि उसे वंदना भाभी पौधों में पानी देती हुई नज़र आई दोनों ने एक दूसरे को हाय हैलो किया फिर सुरभि अपने औफिस चली गई।
एक दिन सुरभि औफिस से जल्दी घर आ गई और किसी तरह खाना खाकर सो गई। शाम को अमित घर आए तो सुरभि से चाय मांगा तो सुरभि चिड़ गई और गुस्से से बोलीं मै भी तो औफिस से थक कर आई हूँ फिर हर बार चाय मै ही क्यों बनाऊँ? इस पर अमित भी गुस्सा होकर बोल पड़ा क्योंकि तुम आराम कर चुकीं हो और मै बस अभी आया हूँ और मत भूलो सुबह की चाय ज्यादातर मै ही बनाता हूँ ........ और इस तरह दोनों में बहस होने लगी। अमित गुस्सा होकर घर से निकल गए और सुरभि बिस्तर पर औधे मुंह लेटकर रोने लगीं। दोनों की शादी को अभी सिर्फ 5 साल ही हुए थे मगर उनका रिश्ता ऐसा हो चला था मानों कई साल हो चुके हो। कुछ देर बाद वो उठी और लैपटॉप खोलकर बैठ गई। कुछ देर काम करने के बाद वो उठी और रात के खाने की तैयारी करने लगीं।
रात को दोनों ने चुपचाप खाना खाया और बिस्तर में पसर गयें।
सुबह सुरभि को उठने में कुछ देर हो गई बाहर आकर देखा तो अमित बगैर नाश्ता किएँ ही चले गए थे। सुरभि भी बगैर कुछ खाएं ही घर से निकल पड़ी। शाम को जब वो घर आई तो सुस्ताने के लिए बैठी ही थी कि डोरबेल बज उठी उसनें दरवाजा खोला तो सामने वंदना भाभी खड़ी थी,सुरभि ने मुस्कुरा कर उन्हें अंदर बुलाया,बैठते ही वंदना बोली वो एक्चुअली मै तुम्हें इन वाईट करने आई हूँ। कल मेरे घर डिनर पर तुम लोग आना सुरभि मुस्कुरा दी और बोली जी जरूर आयेगें।
कुछ देर बाद अमित आ गए तो सुरभि ने उन्हें सब कुछ बता दिया। दूसरे दिन शाम को सुरभि और अमित वंदना भाभी के घर पर पहुँच गए। दरवाजा वंदना ने ही खोला दोनों मिठाई और कुछ फल लाएं थे जो उन्होंने वंदना भाभी को दिया। अन्दर जाकर सुरभि देखतीं ही रह गई। घर बिलकुल करीने से सजा हुआ था। फिर वंदना ने अपने पति सोमेश का परिचय भी उन दोनों से कराया। सोमेश भी काफी मिलनसार थे। दोनों को लगा ही नहीं कि वंदना और सोमेश उनसे उम्र में इतनें बड़े है। सुरभि ने देखा वंदना भाभी और सोमेश जी में बेहद प्रेम है वो सोचने लगी कि विवाह के इतने साल बाद भी इतना प्रेम कैसे है दोनों में?
डिनर के बाद सोमेश और अमित बालकनी में बैठकर बातें करने लगे और सुरभि और वंदना कमरे में बैठकर बातें करने लगे,तभी सुरभि ने कतराते हुए पूछा भाभी शादी के इतने वर्षों बाद भी आप और भैया में इतना प्रेम कैसे है? वंदना मुस्कुरा कर बोली सुरभि हर रिश्ता प्यार और समझदारी का भूखा होता है जहाँ ये दोनों मिल जाएं तो हर रिश्ता खूबसूरत हो जाता है।
मैने कभी सोमेश से ये नहीं कहाँ कि मुझे ये चाहिए वो चाहिए या कभी उनसे बेड टी की अपेक्षा नहीं की बल्कि खुद ही बनाती थी इनके लिए,फिर कभी कभी ये भी बना दिया करते कभी चाय तो कभी मैगी ही सही मुझे बहुत अच्छा लगता। हमेशा खुद की ही मत सोचों कभी अपने जीवन साथी का भी सोचों कि उसे क्या चाहिए वो कहते है न प्रेम देने से प्रेम बढ़ता है बस यही है हमारे प्रेम की वजह जब मैने उनसे इतना प्रेम किया तो उनको तो मुझसे करना ही था,सुरभि मुस्कुरा दी और अब बात उसकी समझ में आ गई।
कुछ देर बाद दोनों ने वंदना और सोमेश से विदा ली और घर आ गए।
अमित चेज़ करने चले गए और इधर सुरभि ने भी नाईटी पहन ली वही जो अमित उसके लिए बडे़ प्यार से लाएं थे।
अमित बाथरूम से निकला तो सुरभि को एकटक देखता रहा,सुरभि ने भी करीब जाकर अमित के गले में अपनी बाहें डाल दी। अमित ने भी सुरभि को गोंद में उठाया और बेड पर लिटा दिया और सुरभि को अपनी गर्म आगोश में भर कर उसके होठों पर अपने होठ रख दिए।
आज वो दोनों फिर से एक दूसरे के करीब आ गए थे।

(समाप्त) -समय 5:50 मंगलवार


© Deepa🌿💙