...

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अधूरा खत 💔
पहले ना ईमेल, ना इंटरनेट,
ना फेसबुक और ना ही कोई एस एम एस
कुछ भी नही था ये प्यार ।

बस किताबों की अदला बदली
और उसके बीच रखे खतों में
किसी तरह महफूज था ये प्यार ।

ना तो कही बाहर घूमने की छूट
और ना ही गांव में कोई बैठने की अच्छी जगह
ना कोई पार्क और ना कोई रेस्तरा ।

ग्रमियों की छुट्टियों में तो और भी
मुश्किल हो जाता था ये प्यार ।

कितनी बुरी और बेरहम लगती थी
गर्मियों की वो छुट्टियां
बस यही सोच कर हमने भी
स्कूल से आते जाते राह में
एक झाड़ी की तलाश की थी।
और उसकी जड़ों में बड़ी नजाकत से रखने लगे थे प्रेम पत्र और पता ।

एक दिन मैं वहा नही पहुंच पाया
और शाम को अचानक हुई बारिश में
पूरी तरह भीग गया तुम्हारा वो खत ।

भीगे खत को मैने बड़े ही प्रेम से उठाया
और सीने से लगाया
तो उसमे से तुम्हारा प्यार बह रहा था
और मैं दौड़ा घर की ओर जल्दी- जल्दी
खोदकर सुखी बालू मिट्टी निकाली,
और दबा दिया तुम्हारे उस खत को ।

कई घंटों की बड़ी मसक्कत के बाद
सूख तो गया तुम्हारा वो खत
मगर स्याही तो धूल चुकी थी
एक मेक हो गए थे
तुम्हारे प्यार के वो धरोहर ।

वो ऐतिहासिक खत आज भी मेरे पास महफूज हैं

और उस से ज्यादा ये जानने की चाह भी, की क्या लिखा होगा

तुमने उस आखरी खत में ।


© Mγѕτєяιουѕ ᴡʀɪᴛᴇR✍️
@Ashishsingh #Ashishsingh #mysteriouswriter