चेहरे का तिल
रात का सन्नाटा था और निश्चय हाईवे पर अकेला गाड़ी चला रहा था। बारिश की हल्की बूंदें शीशे पर टकरा रही थीं, और आस-पास सिर्फ घने जंगल और अंधकार था। अचानक, हेडलाइट की रोशनी में उसे सड़क के किनारे एक आकृति दिखी..एक महिला, पर्पल साड़ी में लिपटी हुई, सिर झुकाए खड़ी थी।
निश्चय ने गाड़ी धीरे की और उसकी ओर देखा। उसकी आँखें अजीब तरह से झुकी हुई थीं, मानो वह किसी गहरे विचार में डूबी हो। उसके चेहरे पर एक तिल था, जो उसकी सुंदरता को और भी खास बना रहा था। उसकी सुंदरता देखकर निश्चय अवाक रह गया।
"क्या आपको लिफ्ट चाहिए?" निश्चय ने खिड़की से बाहर झाँकते हुए पूछा।
महिला ने सिर उठाया। उसकी आँखों में गहरा दुःख था। उसने बिना कुछ कहे हल्के से सिर हिलाया और धीरे से कार की पिछली सीट पर बैठ गई। निश्चय ने गाड़ी स्टार्ट की और आगे बढ़ने लगा। कुछ मिनट तक दोनों के बीच खामोशी छाई रही, फिर निश्चय ने बातचीत शुरू करने के लिए...
निश्चय ने गाड़ी धीरे की और उसकी ओर देखा। उसकी आँखें अजीब तरह से झुकी हुई थीं, मानो वह किसी गहरे विचार में डूबी हो। उसके चेहरे पर एक तिल था, जो उसकी सुंदरता को और भी खास बना रहा था। उसकी सुंदरता देखकर निश्चय अवाक रह गया।
"क्या आपको लिफ्ट चाहिए?" निश्चय ने खिड़की से बाहर झाँकते हुए पूछा।
महिला ने सिर उठाया। उसकी आँखों में गहरा दुःख था। उसने बिना कुछ कहे हल्के से सिर हिलाया और धीरे से कार की पिछली सीट पर बैठ गई। निश्चय ने गाड़ी स्टार्ट की और आगे बढ़ने लगा। कुछ मिनट तक दोनों के बीच खामोशी छाई रही, फिर निश्चय ने बातचीत शुरू करने के लिए...