गरीब की जिंदगी 🙂
इस संसार में कोई भी गरीब नहीं होना चाहता। गरीब होना इस महंगाई में एक अभिशाप हो गया है। नरक का दूसरा नाम गरीबी होता है। गरीब से सब लोग घृणा करते हैं। गरीब का साथ कोई नहीं देता है। गरीबों को अपने किसी भी कार्यक्रम में कोई नहीं बुलाता। लोग उसे ही बुलाते हैं जिसके पास सब भरा होता है। इस संसार में गरीबों का कोई नहीं है। और उन गरीबों को लोग उस गरीबी से बाहर आने का मौका भी नहीं देते। अच्छी-अच्छी स्कूलों में अगर गरीब माता-पिता अपने बच्चों को डालना चाहते हैं तो उन्हें दाखिला नहीं दिया जाता है। 100 में से किसी एक गरीब को अगर पढ़ने का मौका मिल जाए तो उसे घर का काम बाहर का भी काम करके स्कूल जाना पड़ता है। इतना सब कुछ दबाव होने पर भी गरीबों के बच्चे पढ़ाई में अच्छा करते हैं। दिन रात मेहनत करके कुछ गरीब अपने बच्चों की फीस भरते हैं। अपना पेट काट काट कर उनकी फीस जमा करते हैं। लेकिन फिर भी उन्हें संसार के भेदभाव को भी झेलना पड़ता है।लोग कहते है की गरीब लोग अपने कर्म से गरीब होते हैं।चलो माना की वो अपने कर्म से गरीब होते हैं।पर अब जब वो अपनी आर्थिक स्थिति ठीक करने के लिए मेहनत करके अपने बच्चो को पढ़ाना लिखाना चाहते हैं तो अच्छे विद्यालय में उन्हें दाखिला नहीं मिलता। अगर बहुत कह सुन के किसी स्कूल में दाखिला भी हो जाए तो उस विद्यालय के कार्यकर्ता उन बच्चो के साथ भेदभाव करते है उन्हें गन्दा समझते है पूरी क्लास में उनकी बेज्जती करते है।जिससे उस क्लास के बच्चे भी उन बच्चो के साथ भेदभाव करने लगते है।और यह सब देख के गरीब बच्चे भी अपने आप को नीचा समझने लगते है।एक बार एक राम नाम का लडका एक छोटे से गांव में अपने गरीब माता पिता के साथ रहता था।उसकी मां दूसरो के घरों में झाड़ू पोछा करती थी। उसके पिता एक कारखाने में काम करते थे। दोनो के दिन रात काम करने पर भी वो राम का अच्छे विद्यालय में दाखिला नहीं करवा पाते है। इसीलिए उसका दाखिला एक सरकारी स्कूल में केरवा देते हैं। राम एक मेहनती और ईमानदार लडका था। वह कभी भी अपनी परीक्षा में नकल नहीं करता था। फिर भी अपनी कक्षा में सबसे अच्छे अंक से पास होता था।जिससे उसके माता पिता उससे बहुत खुस रहते थे। लेकिन एक दिन उसके पिता से किसी ने कहा कि अगर जीवन में कुछ करना है तो अच्छे विद्यालय में पढ़ना पड़ता है।उसके पापा भी उसका नाम एक अच्छे विद्यालय में लिखवाना चाहते थे। लेकिन पैसे ना होने के कारण उसका दाखिला अच्छे विद्यालय में नहीं हो पा रहा था। फिर उसके पिता एक अच्छे स्कूल जिसका नाम सफायर था उसके प्रिंसिपल से मिलना चाहते थे और उनसे मिलकर या बताना चाहते थे कि वह अपने बच्चे का नाम उनके स्कूल में लिखवाना चाहते हैं तथा उनका बच्चा पढ़ने में बहुत अच्छा है। लेकिन वहां के एक अध्यापक ने उन्हें प्रिंसिपल से मिलने से साफ मना कर दिया और कहा कि हम अपने विद्यालय में गरीब बच्चों का दाखिला नहीं करेंगे। फिर वह बहुत निराश हो गया और घर वापस जाने लगा। रास्ते में उसे एक सवारी मिली और वह सवारी को अपने रिक्शे पर बैठाकर उसे उसकी जगह पर पहुंचाने गया। फिर उसे पहुंचा कर वह अपने घर वापस आ गया और अपने रिक्शे को एक जगह खड़ा करने लगा लेकिन तभी उसने देखा कि उसमें किसी का पर्स...