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"आखिरी उम्मीद"(The Last Leaf🌿)
प्रिया एक शांत सौम्य और अति भावुक लड़की थी,वो अभी स्नातक की पढ़ाई कर रही थीं । अपने माता पिता की इकलौती संतान थीं वो इसलिए उनकी बहुत लाडली थीं। पढ़ाई में वो बहुत मेधावी नहीं थी मगर उसे रचनात्मक कार्यों में अत्यन्त रूचि थीं जैसे कैनवास पर प्रकृति के दृश्यों को उतारना कहानियाँ लिखना और अपने घर के बगीचों में अपनी पसंद के पौधे लगाना,उसे प्रकृति से बहुत प्यार था,उसनें बड़े चाव से अपने घर के बगीचे मे एक पौधा लगाया था जिसमें पीले रंग के फूल खिलते थे,ये पौधा उसे उसके बगल में रहने वाले राबर्ट अंकल ने दिया था जो उनके पड़ोसी थे ।
वो प्रिया को अत्यधिक स्नेह करते थे, पांच वर्ष पूर्व एक कार दुर्घटना में उन्होंने अपनी पत्नी और एक मात्र बेटी को खो दिया था,उन्हें भी बहुत चोटें आई थी मगर वो बच गऐ थे ।
अब वो प्रिया में ही अपने बेटी का अक्स देखने लगे थे।
पेन्टिंग में उन्हें भी बहुत रूचि थी इसलिए वो कभी कभी प्रिया को भी कुछ निर्देश दे देते थे।
एक दिन की बात है प्रिया कालेज से आई तो उसे अत्यधिक बुखार था,माँ ने तुरंत प्रिया को दवाई दी और उसे उसके कमरे में लेटा दिया।
कई दिन गुज़र गए प्रिया का ज्वर कभी उतरता तो कभी बढ़ जाता था,डाक्टरों को दिखाया गया तो उन्होंने कुछ दवाईयां लिख कर दी जिनका सेवन प्रिया करने लगीं,अब प्रिया बस अपने ऊपर वाले कमरे में लेटी रहतीं थी और एक टक अपने पौधे को जो अब पेड़ बन चुका था देखतीं रहतीं थी।
इधर उसके पड़ोसी राबर्ट अंकल ने क्ई दिनों से प्रिया को नहीं देखा तो उन्हें चिंता हुई तो वो उसके घर पहुंचे तो प्रिया की माँ ने उन्हें बताया कि वो एक हफ्ते से बीमार पड़ीं है,वो दौड़कर सीढ़ियां चढ़ते हुए प्रिया के कमरे में पहुंचे और बोले "क्या हो गया मेरी एन्जेल को" प्रिया उदास स्वर में बोली अंकल आपने देखा मेरी तरह मेरा पेड़ भी मुरझा गया है उसकी सारी पत्तियाँ पीली पड़ गई है और रोज़ एक एक करके गिरने लगीं है,राबर्ट ने देखा पेड़ में अब कुछ ही पत्तियाँ गिरना शेष है वो हंसकर बोले अरे पेड़ से क्या तुलना करना लेकिन प्रिया बोली नहीं अंकल जब से मै बीमार हुईं हूँ ये पेड़ भी मुरझा गया है अगर इस पेड़ की सारी पत्तियाँ गिर जाए तो देखना मै भी नहीं बचुंगी ।
वो खामोश हो गए और प्रिया को दिलासा देते हुए चले गए।
इधर प्रिया का अब मानों नियम सा बन गया था वो रोज उस पेड़ की पत्तियाँ गिनती और अनुमान लगाती कि उसके जीवन के कितने दिन शेष है।
प्रिया की माँ प्रिया को समझा समझा कर थक गई थी मगर उसकी बेटी ने तो जैसे अपनी जिंदगी के तार उस पेड़ के साथ बांध लिया था।
एक दिन प्रिया ने देखा कि उस पेड़ पर केवल दो पत्तियाँ शेष है प्रिया हंसकर खुद से बोली यानि मै दो दिन और जीवित रहूँगी और उसी रात जोर की आंधी और बारिश आई,प्रिया की माँ ने डर के मारे प्रिया के कमरे की खिड़की बंद कर दी उस समय प्रिया सो रहीं थी।
दूसरे दिन प्रिया ने देखा कि उसके कमरे की खिड़की बंद है तो उसनें माँ को पुकारा पूछने पर पता चला कि रात आंधी और तेज बारिश आई थी जिस वजह से माँ ने खिड़की बंद कर दी थी।
प्रिया का दिल धड़क उठा यानि अब तो पेड़ पर एक भी पत्ती न होगी यानि उसके जीवन की लीला भी यही समाप्त।
सोचते हुए उसनें कांपते हाथों से खिड़की खोली तो उसके आश्चर्य की सीमा न रहीं उस पेड़ पर अब भी दो पत्तियाँ थीं जो हरी सी थीं यानि पेड़ पर नई पत्तियाँ उगने लगीं थीं यानि अब वो भी नहीं मरेगी प्रिया खुश होकर माँ को दिखाने लगीं देखो माँ पेड़ पर नई पत्तियाँ आ गई है... देखो माँ.... यानि अब मैं भी ठीक हो जाऊँगी,और सचमुच प्रिया धीरे धीरे ठीक होने लगी और फिर एकदम स्वस्थ हो गई और कालेज भी जाने लगीं।
अब प्रिया राबर्ट अंकल को बताएगी कि देखो अब वो भी ठीक हो गई है और उसका पेड़ भी,घर आकर उसनें माँ से पूछा कि माँ जब मैं बीमार थीं तो राबर्ट अंकल हर रोज़ मुझे देखने आतें थे और मेरे ठीक होते ही कहाँ गायब हो गए मुझे उन्हें बताना है कि देखो मेरा पेड़ भी जिंदा है और मै भी।
माँ को खामोश देखकर प्रिया ने पूछा "क्या हुआ माँ तुम कुछ बोलतीं क्यों नहीं" माँ की आंखों में आंसू आ गए और रोते हुए वो बोली कि बेटी मुझे भी ये बात पता नहीं थी मुझे बाद में राबर्ट भाई के नौकर ने सब कुछ बताया, क्या बताया माँ पूरी बात बोलो न, माँ रोते हुए बोली प्रिया आज अगर तुम जिंदा हो तो उस पेड़ की वजह से नहीं बल्कि राबर्ट अंकल की वजह से हो, मतलब प्रिया बोली तो माँ ने बोलना शुरू किया.... जिस रात तेज आंधी और बारिश आई थी तो राबर्ट अंकल जान गए थे कि अब उस पेड़ में एक भी पत्ती नहीं रहेगी और तुम्हारी जिन्दगी की तार और आखिरी उम्मीद सिर्फ वो पेड़ ही था।
उन्होंने सीढ़ी उठाई ब्रश और रंग लेकर वो तुम्हारे खिड़की तक चढ़े और उन्होंने जल्दी से दो पत्तियाँ तुम्हारी खिड़की के नीचे इस तरह बनाएं कि खिड़की खोलते ही वो तुम्हें दिखाई दे,किसी तरह पत्तियाँ बना कर वो उतरने ही वाले थे कि संतुलन बिगड़ जाने की वजह से वो सीढ़ियों से गिर पड़े गिरते ही उनका सिर नीचे पत्थरों से जा टकराया और उनकी वही मृत्यु हो गई सुबह उनके नौकर ने जब देखा तो जल्दी डाक्टर के पास ले गया मगर डाक्टरों ने उन्हें मृत धोषित कर दिया।
पूरी बात सुनकर प्रिया बुत सी खड़ीं रह गई।
अब वो रोज खिड़की के पास खड़ीं होकर उस पेड़ को निहारा करतीं उसमें सचमुच नन्ही नन्ही पत्तियाँ निकलने लगीं थीं मगर उसे और उस पेड़ को तो १५ दिन पहले ही राबर्ट अंकल ने जीवन दान दे दिया था।
© Deepa