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एक प्रेम कहानी ऐसी भी
हरि निवास म कुरीयर वाला एक किताब और एक लाख का चेक देकर चला जाता है।
जिससे मनहूसियत छाई घर में कुछ खुशी भरी रौशनी की स्फूरीत से हलचल होती है।चेक से कोई खास खुशी नहीं होती है क्योकि सभी यहां आत्मनिर्भर और ऊंचे पोस्ट पर स्थापित है।सभी बडें यहां लाखो से ऊपर कमा रहे थे।
परिवार जन बस ऐसे ही उत्सतापुर्वक जानना चाह रहे थे।
किसके नाम का चेक है।और यह किताब कैसी है।

50वर्षिय निशांत जो रोबदार चेहरा मे भी सादगी लिया हुआ हैऔर अमेरिका में एक सर्जन डाक्टर के पद पर कार्यरत है।इस घर का प्रथम संतान और दो बच्चे का पिता है।
देखा चेक मां‌ के नाम पर है।उसे भाई नितेश को थामा दिया।और स्वंय को किताब को देखने लगता है
वह सरसरी निगाहों से किताब खोलने लगता है।
एक रंगीन किताब जो प्रेमी जोडो में एक दुजे के बांहो
में समाए थे। बेहद खुबसुरत राधे कृष्ण की तरह छपी थी।शिर्षक था मैं तेरी मीरा।
अन्तिम पन्नो में हस्क्षातर था सुनिंदा सिन्हा
वह आश्चर्य होते हुए सबको बताता है यह तो हमारी मां का नाम है शायद मां हमसेे इतने सालों की जुदाई में यह कहानी की उपज की होगी...