कुछ पल सकूँन के चाहिए ये जिंदगी है अपनी ..... अपने ढंग से चाहिए , जब भी वक़्त मिले खुद के साथ बिताइए , थोड़ा कुदरत से भी प्रीत बढाइये ,
एक रोज़ मेरा मन बहुत घबराया ,
अकेली थी अकेलापन बहुत सताया ,
कोई राह नज़र नही आ रही थी ,
तभी मन मे महाकाल के दर्शन का ख़्याल आया ,
में भी चल दी मिलने उससे
जो परमात्मा है पिता हमारा है ,
चलते -चलते एक रहगुज़र से गुजरी जो मुझे लेकर मेरे शिव तक पहुँची न जाने उस मंदिर में क्या था मेरा व्याकुल मन शांत था उस रोज से ठीक उसी दिन उस रहगुज़र पर में जाने लगी दिल में शिवभक्ति भी गहराने लगी , फिर धीरे...
अकेली थी अकेलापन बहुत सताया ,
कोई राह नज़र नही आ रही थी ,
तभी मन मे महाकाल के दर्शन का ख़्याल आया ,
में भी चल दी मिलने उससे
जो परमात्मा है पिता हमारा है ,
चलते -चलते एक रहगुज़र से गुजरी जो मुझे लेकर मेरे शिव तक पहुँची न जाने उस मंदिर में क्या था मेरा व्याकुल मन शांत था उस रोज से ठीक उसी दिन उस रहगुज़र पर में जाने लगी दिल में शिवभक्ति भी गहराने लगी , फिर धीरे...