...

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सुकून.... दिल का
हां इस चांद ने दिया मुझे सुकून दिल का
तेरी नाराजगी मुझे इस कदर सता उठी
खुद अकेले चांद को मैं किस्सा बता उठी
नाराज तेरे हर शब्द में मैं मेरी गुस्ताखी ढूंढ रही थी
अनजान हो गई खुद से मैं खुद को खो रही थी
दर्द मेरी खामोशी का समझ तुझको ना आ पाया
देखा बैठे अकेले चांद को मैने हर किस्सा उसे सुनाया

कहा दिल में मेरे थी बेचैनी उससे भी कई बातें कहनी थी
मगर
काफी नहीं शायद ये वक्त इतना चल कभी और बताते हैं

चुप चांद भी नही था दिल बोल उसका भी रहा था
उसके भी थे कुछ जख्म शायद या वो भी दुख तोल रहा था
चल पूरा करेंगे किस्सा ये भी मोहब्बत का
अभी दिल हाल ए दिल थोड़ा रुक के सुनाएंगे

जल्दबाजी नही मजबूरी है कही
टूटा दिल जोड़ने चल दिए फिर से वही
टूटेगा या जुड़ पायेगा दिल ये अब रुक के बताएंगे
सूना है कोना मासूम इस दिल का
हां चांद से ही मिला मुझे सुकून दिल का
#love
© Neha Jurel