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ishaq wali kahani Part-1
शहर बहुत आसान सा था । आमतौर पर शहर आसान ही होते हैं , मुश्किल तो रहने वाले लोग उसे बना देते हैं । पर इस शहर के लोग आसान से ही थे , तो शहर भी आसान सा हो पड़ा था । शहर में एक कॉलोनी थी , मोहल्ले जैसी नहीं । बेफ़िक्री थोड़ी कम थी लोगों में इसलिए मोहल्ला नहीं था । मोहल्ले में बेफ़िक्री कुछ ज़्यादा हो जाती है । यहाँ नहीं थी ।
कॉलोनी में घरों के डिज़ाइन एक जैसे ही थे , एक सिमिट्री थी । जैसे घरों के दरवाज़े आमने सामने , मिली हुई छतें । कमरे , उनकी खिड़कियाँ एक दूसरे को देखती हुईं । कालोनी ज़्यादा पुरानी नहीं तो लोग कम थे । टाइम भी कम ही हुआ था तो लोगों ने मॉडिफ़िकेशन कम कराए थे । काफ़ी सारे घर अभी भी ख़ाली पड़े थे । घरों में ताले थे , जो मकानमालिकों या किराएदारों के इंतज़ार में थे और इंतज़ार करने के विश्वकीर्तिमानों को...