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कॉलोनी का 'भुरु'
कॉलोनी का भुरु" यह एक कॉलोनी में रहने वाले एक कुत्ते पर आधारित कहानी है! जिसे सभी 'कॉलोनी वासी 'भुरु'कहकर बुलाते है! यहां मैं अपने पिता के साथ एक कॉलोनी में रहता हूं ! यहां का सिपाही है -अपना प्यारा भुरु! जोकि अपनी सेवा के बदले न किसी से कुछ मांगता है, न किसी के घर में घुसता है और न ही वह किसी को कभी सताता है ! वह अदभुत सिपाही अपने को कोलोनी पर न्यौछावर कर चुका है! वह अपना फर्ज एक ईमानदार पुलिस वाले की तरह निभाता है! पहली बात तो, वह कॉलोनी वासियों में तो किसी को परेशान नहीं करता है! किन्तु यदि किसी दुसरी जगह का कोई बाहरी आदमी आ जाये तो सबसे पहले वह उसकी तलाशी लेने में कसर नही छोड़ता है! पहले तो ललकार कर पूछता है कि तू हमारी कॉलोनी में कैसे आया उसे लोगों के डांटने पर मैं चुपचाप अपनी चौकसी करने बैठ जाता है और अंततः उसे छोड़ देता है! लेकिन यदि कोई बाहरी कुत्तों की गैंग आ जाए या फिर कोई और अन्य जीव आ जाए तो वह उन सबको भगा के ही दम लेता है ! वह कॉलोनी के सभी छोटे-छोटे बच्चों से भी परिचित है! वह कई बार उन बच्चों के साथ भी खेलता है , मनोरंजन भी करता है! वह अपने नाम को बिलकुल पहचानने लग गया है! जब हम उसे भुरु कह कर बुलाते हैं तो वह शीघ्र ही दौड़कर हमारे पास आ जाता है ! वह यहां एक दोस्त की तरह रहता है! वह हम से नीचे एक क्वार्टर की मंगडोड़ी पर बैठा रहता है!
इसी बीच मुझे उसकी एक दिन की घटना याद आ गई ! कि हुआ यूँ - एक दिन बाहर की कुत्तों की फौज हमारी कॉलोनी में प्रवेश कर गई जैसे भारत के बॉर्डर पर पाकिस्तानी आतंकी प्रवेश कर जाते हैं , ठीक उसी प्रकार! किंतु जिस तरह भारतीय फौजी उन आतंकियों को खदेड़ देते है ,उसी तरह भुरू ने भी उन्हें खदेड़ भगा दिया !
किंतु फिर एक बार ठीक वैसा ही हुआ जैसा कि आज हुआ था! उस दिन भी उन कुत्तों की फौज हमारी कॉलोनी में प्रवेश कर गई और इधर अकेला हमारा भुरु था ! अब तक वे कुत्ते तेज गर्जना कर दहाड़ रहे थे, किंतु हमारा इधर अकेला भुरु उन पर भारी पड़ गया और उन्हें एक ही ललकार में काॕलोनी से निकाल भगा दिया! तत्पश्चात एक दिन उन कुत्तों की फौज ने हमारे भुरु की अनुपस्थिति में मध्य दोपहर में दोबारा हमला बोल दिया!
हमारे ऊपर नहीं ,अपितु स्टेशन मास्टर चेतराम जी के लड़के चिराग पर!
हालांकि उस दिन कुछ स्त्रियां वही रोड़ पर टहल रही थी ! अतः उन्होंने उन कुत्तों को फटकार दिया, इस कारण चिराग भी उस दिन बच गया! फिर तुरंत बाद ही हमारे भुरु को भनक लग गई ! और आखिर एक बार फिर भुरु ने उन्हें अंत में भी पराजित कर दिया! तो ऐसा है, हमारा 'भुरु '!