...

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मैं और तुम..
कैंटीन बदल गई
काउंटर पर बैठने वाली लड़की की जगह एक अधेड़ आदमी ने ले ली
अब यहां चाय कोई लड़का बनाता है
खुशबू शहर के मसालों की अब भी ताजा है
बस नहीं रहा तो वो स्वाद जो उम्र को दराज रखता था
वो लड़की जो मुझे नया लड़का बोलती थी
तेरा नाम लेकर मुझे चिढ़ाती थी
अब नहीं दिखती

सच कहूं
अब तेरे शहर आने का मन नहीं करता है..
#निशेष_प्रेम

हमेशा से मैंने सिर्फ यही चाहा
यह चाहा की मैं किसी बिना रेत की नदी का नदीद्वीप रहूं
ऐसे रहूं जैसे चांदनी में अकेला चमकता तारा
जैस शराबखाने में बची अकेली बोतल
जैसे मां की बनाई रोटियों में बहुत जोर की भूख में बची आखिरी रोटी
जैसे किसी कक्षा का अंतिम बेंच का अकेला विद्यार्थी
जैसे किसी बस की आखिरी सवारी
हां जैसे तुम्हारे किसी सोशल अकाउंट का अकेला और आखिरी फॉलोअर..
जब अकेला रहूंगा तो आखिरी भी रहूंगा, हां मैं सिर्फ तुम्हारा रहूंगा..
#निशेष_प्रेम
© नि शेष प्रेम