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शीर्षक - आस की गोद
मैने तेरे आने की राह तकते तकते अपनी नजरे एक अरसे से मेरे घर के सामने की रास्ते पर गड़ाई हुई है और में बैठा हूं उसी जगह पर जहां तुम मुझे आखिरी बार छोड़ कर गई थी। तूने कहा था की तुम्हारी गोद मैं जो सुकून है वो किसी मूरत के सामने माथा टेक कर नही मिलता है। तुम मुझ से वादा करो की मैं जब भी तुम्हे मिलने आया करूंगी तुम मुझे अपनी गोद के सुकून मैं एक बार तो जरूर ही सुलाया करोगे।
देखो तुम तो अभी तक नही आई मैं अभी भी तुम्हारे आने की आस में...