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कैसा मंजिल हासिल किया!
एक लड़का था।हमेशा उसे दर्द का सामना करना पड़ता था।सब उसे सिर्फ मदद के लिया बुलाते थे लेकिन जब वह मुसीबत में होता था कोई भी मदद नहीं करता।वह हमेशा अकेला रहता था।उसका कोई दोस्त नहीं था जो उसे मदद करे।समय ऐसा वेस्ट करता जैसे अकेलापन ने उसे खरीद लिया।जो भी उसे मिलता था रास्ते में सब सिर्फ उससे मदद मांगते थे।एक दिन वह मुसीबत में था लेकिन किसी ने भी उसका मदद नहीं किया।
एक बार उसके दोस्त ने उसे मदद के लिया बुलाया उसने मदद किया।लेकिन सिर्फ नाम के दोस्त थे।कोई अच्छा दोस्त नहीं था।लेकिन वह निकम्मा था वह समझ नहीं पाया कि उसे सिर्फ use किया जा रहा है।कुछ ऐसे भी दोस्त थे जो उसे समझाते थे लेकिन वह किसी का सुनता ही नहीं।लेकिन जो समझाते थे उन सब से उसका रिश्ता बहुत अच्छा था जब स्कूल के जिंदगी खत्म होगया धीरे धीरे सब चले गए।वह जब किसी से मिलने जाता तो सब उसे देखकर मुस्कुराते थे उससे मिलने के लिये कोई नहीं आता।वह हमेशा दर्द अपने डेयरी को बताता था कारण सुनने के लिया कोई नहीं था।
उसे बहुत मन था कि English में बात करना सीखे ।HSLC के बाद वह इंटरनेट में इंग्लिश सीखने के लिया वीडियो देखता था।एक दिन एक दोस्त से उसने पूछा कि "कुछ अच्छा वीडियो के नाम बताओ"तो उस दोस्त ने कहा" motivation video"और उसे लिंक दिया।वह देखने लगा फिर देखते देखते उसे धीरे धीरे सब कुछ समझ आया कि उसका जो दोस्त है सिर्फ नाम के दोस्त है।फिर वह सब को नापसंद करने लगा।
उसने अपना जिंदगी को पूरा बदल डाला।उसे सिर्फ ये खयाल आने लगा कि "कैसे जिंदगी को मंजिल तक पोहूजाए"। धीरे धीरे उसने मेहनत करना शुरु किया ।अब उसे कोई कुछ भी कहता है तब वह किसी को भी जवाब नहीं देता।कोई कुछ भी कहे वह हमेशा सुनता रहता था। ये याद रखता था कि कौन क्या कह रहा है।
उसका मेहनत और हौसला इतना बरगया कि अंदर अंदर और चुप चुप कर इतना मेहनत करने लगा कि किसी को पता ही नहीं होता की वह क्या कररहा है।
फिर एक दिन उसका जिंदगी मंजिल की रास्ते में था।तब उसको बहुत लोग रोकने के लिए आए लेकिन किसी ने उसके हौसले को थोर ने में कामयाब नहीं हुआ।उसे रोकने के लिया मैदान में इतना लोग थे कि कौन कब क्या करेगा किसी को पता नहीं था।लेकिन हज़ारों मेहनात के बाद भी उसे रोकना मुश्किल हो गया ।और एक सुबह ऐसा उसे नजर आया कि वह मंजिल पे खड़ा हो गया और उसे येकीन ही नहीं हो रहा था कि वह मंजिल पे खड़ा है।
अब जब वह मंजिल पे खड़ा हो गया वह रोने लगा कि इतना मेहनत से आज मेने मंजिल हासिल कर लिया।अब वह जहा भी जाता है सिर्फ वह लोग ही नजर आने लगे जिन्होंने उसे रोका जिन्होंने उसे दर्द दिया जिन्होंने उसे कोई मदद नहीं किया वह लोग आज उसके आने के इंतजार करते है।वह सब जो उसे जिंदगी भर दर्द दिया वह सब उससे हाथ मिलने के लिए उससे मिलने के लिए तरसते रहे।और वह ये नजारा देख कर उसके आखो से पानी निकाल आया और उन सब को मदद करने लगा और उन सब को कहा "तुम सब ने तो मुझे बहुत दर्द दिया इसलिए में जनता हूं दर्द क्या होता है।तुम सब की मदद में करूंगा" ये सुनकर सब माफी मांगने लगे लेकिन उसने सब को कहा
"माफी नहीं चाहिए,
अगर कुछ चाहिए तो
सिर्फ महब्बत चाहिए,
कारण तुम सब अपना ही हो"


शीर्षक:- मेहनत को अगर अपने साथ शामिल कर लोगे तो मंजिल पे खड़ा होना कोई मुश्किल चिज नहीं।
-shaji