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नशा मुक्त हो भारत हमारा
जानलेवा है ये शौक:- आदत नहीं ये अच्छी तू इसको है पहचान लें। जानलेवा है ये बात अच्छे से तू जान लें। केसर नहीं है ये केंसर का दम है। छोड़ दें बूरी लत ये (डॉ.श्वेता सिंह) कैसा तेरा शौक है। ऐसा शौक भी किस काम का जो इंसान को ही खोखला कर दे। ये जो तेरा शौक है धुएं को जबरदस्ती अपने फेफड़ों के नीचे धकेलना फेफड़ों का ये बलात्कार है। जो तुझे नहीं है आता समझ। तू इतना नासमझ है कि जब समझ आयेगा तब तक ये शरीर को खोखला कर चुका होगा तेरा। तम्बाकू को जिसने गले लगाया मौत को उसी ने है अपने पास बुलाया। आओ मिलकर संकल्प उठाते है ऐसे शौक को नशा मुक्त कराते है। माना कि थोड़ी धीमी गति है तो क्या हुआ, अंजाम बड़ा ही हसीन होगा। अडिग रहकर अब वार है करना, जिसने कई घरों की खुशियों को ही छीन लिया। ऐसा भी क्या शौक जिसने कितनों की चूड़ियां है तोड़ डाली। है काम बड़ा कठिन सही पर कभी ना कभी करनी होगी इसकी पहल। नशा मुक्त हो भारत हमारा:- नशा भले ही शान और लत के लिए किया जाए पर यह जिंदगी की बेवक्त आने वाली श्याम को भी न्यौता देता है। जो कब जीवन में अंधेरा कर दे, कुछ भी कहा नहीं जा सकता। आप इसका मजा भले ही दिनभर के कुछ सेकंड के लिए करते हो लेकिन यह शौक कब आपके लिए जिंदगी भर की सजा बन जाएगा इसका आप अंदाजा भी नहीं लगा पाएंगे। किसी भी देश का भविष्य और देश की तरक्की देश के युवाओं पर ही टिका होता है। देश की युवा पीढ़ी अगर गलत रास्ते पर चले जाए तो निश्चित तौर पर उनका जीवन अंधकार में चला जाता है। हमें अपने भारत को नशा मुक्त कराना है। तो आओ मिलकर लें संकल्प की करें अपने भारत को नशा मुक्त। सभी को तम्बाकू के सेवन से रोकने का करे प्रयास ताकि समाज को तम्बाकू के जहर से मुक्त किया जा सकें।
आजकल की युवा पीढ़ी में तनाव की स्थिति बहुत ज्यादा देखी जाती है, जिसमें सबसे बड़ा रोल नशे का है नशे में आकर हर कोई अपनी सुध बुध खो देता है। शहर में जितने भी क्राइम हो रहे हैं महिलाओं के साथ अत्याचार हो रहे हैं इन सब की जड़ भी नशा है। नशे में इन्सान अपनी सूझबूझ को देता है इसलिए वह हवस का शिकार करता है। नशा एक ऐसी बिमारी है जो सोचने समझने की शक्ति को देता है। जिस चीज का इंसान नशा करता है अगर उसको ना मिले तो वह तड़पने लगता है। अगर कोई किसी को धोखा देता है, तो वो सबसे पहले अपने आप को ही देता है। इसमें कोई किसी का नुक़सान नहीं बल्कि लोग अपने मरने की तैयारी खुद करते हैं। नशा का रूप इतना विकराल हो गया है कि ये पूरे देश को खोखला कर रहा है। अगर इस पर ठोस कदम ना उठाए गए तो हमारे देश के युवाओं का भविष्य अंधकार में बदल जायेगा।आज हर कोई तनाव मेें जी रहा है। यही तनाव नशे की ओर ले जाता हैं। युवा खूब कोशिश कर लें, मगर नशे की तरफ खिंचाव बढ़ने लगता है। इस उम्र में हर कोई नया कर गुजरने की ख्वाहिश लेकर चलता है। नशा भी इसमें एक ऐसा ही पहलू हैं, जिसका स्वाद एक बार चखता है तो फिर इसका आदी होता ही चला जाता है। नशे से बचाव के लिए सबसे जरूरी है कि युवा अपने आपको तनाव से दूर रखें और शरीर की ऊर्जा को सकारात्मक कार्यों में इस्तेमाल करें। खेल, शिक्षा इसका बेहतर ऑप्शन है।
अभिभावकों को भी रखनी होगी निगाह:
नशे के दल-दल में धंसती जा रही नई पीढ़ी के लिए उनके अभिभावक भी कम जिम्मेवार नहीं हैं, उनके बच्चे कहां जा रहे हैं, क्या कर रहे हैं इस पर ध्यान नहीं देते कामकाज के उलझनों में रहने के कारण बच्चों को पूरा समय भी नहीं दे पाते और कहा कि नई पीढ़ी को इस जाल से मुक्त करने तथा इसमें फंसने से रोकने के लिए सबसे अधिक जागरूक व साकांक्ष अभिभावकों को ही रहना होगा।अगर कोई बच्चा अचानक सुस्त नजर आने लगें, उसकी आंखें बोझिल दिखे, आंख के नीचे काला धब्बा बनता नजर आये तो तुरंत इसपर ध्यान देना चाहिए। उनकी संगत किन बच्चो के साथ है, वे घर के बाहर क्या करते हैं, इन सब पर निगाह रखने की जरूरत है। बच्चों को पूरा समय देकर, उनसे बात कर इस दल-दल से समय रहते उन्हें निकाला जा सकता है और आवश्यकता पड़ने पर चिकित्सकीय परामर्श भी लेनी चाहिए।(डॉ.श्वेता सिंह)

© Dr.Shweta Singh